किसानों के लिए लंगर में रोज 40 हजार रोटियां पक रही हैं ऐसे
कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े आंदोलनकारी किसानों को खाना मुहैया कराने के लिए अब मशीनें लगा दी गई हैं. इनकी मदद से किसानों को घर जैसा खाना मिल रहा है. इससे पहले किसान मिल-बांटकर लंगर तैयार कर रहे थे.
लंगर में मशीनों की मदद से रोज करीब 40 हजार रोटियां बनाई जा रही हैं. यही नहीं, सात क्विंटल चावल भी रोज पकाया जा रहा है. यहां बनने वाली होने वाली पनीर की सब्जी और चने किसानों की पहली पसंद हैं. यह लंगर गुरदासपुर के एक गुरुद्वारे ने लगाया है. रोटी बनाने की मशीन एक घंटे में एक क्विंटल आटे से चार हजार रोटियां तैयार कर देती हैं. दाल और चावल पकाने के लिए स्टीमर बायलर लगाए गए हैं.
महज 20 से 25 मिनट में दो से ढाई हजार लोगों के लिए दाल और सब्जी पककर तैयार हो जाती है. गुरुद्वारे के बाबा अमरीक सिंह ने बताया कि सुबह चार बजे से ही चाय बनने लगती है. इसमें करीब सौ लीटर दूध खर्च हो रहा है क्योंकि चाय रात तक बंटती रहती है. नाश्ते में आमतौर पर पकौड़े बनते हैं जिसमें करीब 50 किलो बेसन लगता है. इसके बाद दोपहर का खाना. 40 से 50 हजार किसान लंगर में खाना पाते हैं जो रात 12 बजे तक चलता रहता है.
लंगर में तैयार होने वाली सब्जियां हरियाणा और पंजाब के खेतों से आ रही हैं. दोपहर में सब्जी-दाल-चावल और पनीर की सब्जी बनती है तो शाम के समय दाल-सब्जी और पूरी. आटा-चावल आदि का इंतजाम दिल्ली-पंजाब और हरियाणा के किसान परिवारों के अलावा गुरुद्वारे कर रहे हैं. रोज करीब 10 हजार से ज्यादा पानी की बोतलें भी आ रही हैं.
प्रदर्शनकारी किसानों को ठंड से बचाने के लिए गैस हीटर भी लगाए गए हैं. कुछ लोग लकड़ी जलाकर काम चला रहे हैं. जलाने के लिए हर दिन ट्रक भरकर लकड़ियां पहुंच रही हैं. ठंड से बचाव के मद्देनजर बार्डर पर एक पेट्रोल पंप पर एक एनजीओ ने टेंट लगावाए हैं. इसकी सारी देखरेख भी वही कर रहा है.