देश में हो रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को आज सौ दिन पूरे हो गए हैं. इस मौक़े पर नई दिल्ली को अन्य राज्यों से जोड़ने वाले छह लेन के एक्सप्रेस-वे को बंद करने के लिए किसान एकजुट हो रहे हैं.
किसानों का कहना है कि इसके ज़रिए वो सरकार पर दवाब डालना चाहते हैं और चाहते हैं कि सरकार विवादित कृषि क़ानून वापिस ले.
सितंबर 2020 में लागू किये गए कृषि क़ानूनों के विरोध में बड़ी संख्या में किसान कारों और ट्रैक्टरों पर सवार होकर एक्सप्रेस-वे पर पहुँच रहे हैं.
पंजाब के 68 साल के अमरजीत सिंह ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि “मोदी सरकार ने लोगों के इस विरोध प्रदर्शन को ‘ईगो’ यानी अपने ‘अहम् का मुद्दा’ बना लिया है. वो किसानों का दुख नहीं देख पा रहे. उन्होंने हमारे सामने विरोध के अलावा कोई और रास्ता छोड़ा ही नहीं.”
आज कुंडली-मानेसर-पलवल हाईवे जाम करेंगे किसान
किसान एकता मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि ‘किसान कुंडली-मानेसर-पलवल हाईवे जाम करेंगे.’
उन्होंने कहा, “किसान 11 बजे के बाद रास्ता जाम करेंगे और सड़क पर धूप में बैठकर विरोध जताएंगे.”
वहीं टिकरी बॉर्डर पहुँचे राकेश टिकैत ने कहा, “हमें अपने लिए गर्मियों और बरसात के दिनों की व्यवस्था करनी होगी, लेकिन हम यहाँ से नहीं उठेंगे. सरकार ने कहा है कि कृषि क़ानूनों से लाभ होगा. हमारा कहना है कि हमें उस व्यक्ति से मिला दो जो हमें बता दे कि क्या लाभ होगा और कैसे होगा. हम ये गणित समझना चाहते हैं.”
उन्होंने कहा कि “आंदोलन लंबा चलने वाला है. माँग पूरी होने पर किसान ख़ुद चला जाएगा.”
बीते साल दिसंबर के महीने से ही हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं.
दिसंबर की कड़कड़ाती ठण्ड के गुज़र जाने के बाद, अब सीमा पर किसान गर्मियों की तैयारियाँ कर रहे हैं.
उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी बात नहीं मानती, वो पीछे नहीं हटेंगे.
किसानों का विरोध प्रदर्शन अधिकतर शांतिपूर्ण रहा है, लेकिन 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा हुई थी, जिसमें एक किसान की मौत हो गई थी.
उस दिन कुछ लोगों ने दिल्ली के लाल क़िले पर सिखों का पारंपरिक झंडा फहरा दिया था. बाद में इस मामले में पुलिस ने कई पत्रकारों पर उस दिन की घटनाओं को ग़लत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज किया.