नक्सलियों के पास कम पड़ी कारतूस तो बढ़ा दी बारुदी सुरंगें
रायपुर, छत्तीसगढ़ पुलिस की खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, नक्सलियों के पास कारतूस की कमी हो गई है। कोरोना संकट के दौरान देश में हुए लाकडाउन और नक्सल मोर्चे पर पुलिस की मुस्तैदी के कारण नक्सलियों तक कारतूस की सप्लाई नहीं पहुंच रही है। गोली नहीं होने के कारण नक्सली अब फोर्स को सीधे निशाना नहीं बना पा रहे हैं।
ऐसे में बस्तर के जंगलों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए परेशान नक्सलियों ने वारदात को अंजाम देने के लिए हाल के दिनों में बारुदी सुरंग और स्पाइकहोल्स (कीलों वाले गड्ढे) का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। कुछ दिन पहले ही नक्सलियों के स्पाइकहोल्स की चपेट में एक ग्रामीण आया, जिसे फोर्स के जवानों ने कंधे पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया।
एंटी नक्सल आपरेशन के आला अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों की सप्लाई चेन टूट गई है। कोरोना संकट के दौरान पड़ोसी राज्यों की सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई थी। जांच के दौरान नक्सली हथियार और अन्य सामग्री नहीं ले जा पाए। यही नहीं, फोर्स पर छोटे हमले करके नक्सली हथियार और गोली लूटने की घटना को अंजाम देते हैं। पिछले एक साल में एक भी बड़ी घटना को अंजाम नहीं दे पाने के कारण नक्सलियों में बौखलाहट है।
खुफिया विभाग को मिली जानकारी के अनुसार, हथियार और कैडर की कमी के कारण ही नक्सलियों ने एक पर्चा जारी करके सरकार से वार्ता की बात कही थी। इसके पीछे भी नक्सलियों की सोची-समझी साजिश है। जंगल में जब नक्सली कमजोर होते हैं तो वे वार्ता की पेशकश करके अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करते हैं।
बरुदी सुरंग में विस्फोट से जवानों की गई जान
दंतेवाड़ा के चिंतागुफा में आपरेशन के दौरान सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट की जान चली गई। नक्सलियों ने नवंबर में लैंड माइंस ब्लास्ट किया था, जिसमें नौ जवान घायल भी हुए थे। सितंबर में कांकेर जिले में बारुदी सुरंग विस्फोट में बीएसएफ का एक जवान घायल हो गया था। कोयलीबेड़ा इलाके में नक्सलियों ने ब्लास्ट करके दहशत दिखाने की कोशिश की थी।
बस्तर के अंदरुनी इलाकों में फोर्स के दबाव के कारण नक्सली पस्त हो गए हैं। अब वे जवानों से सीधी लड़ाई लड़ने में सझम नहीं है, जिसके कारण लैंड माइंस और स्पाइक होल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें जवानों, ग्रामीणों के साथ नक्सली भी जान गंवा रहे हैं।