भिलाई के गर्डर पर टिकेगा विश्व का सबसे ऊंचा ब्रिज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में सबसे ऊपर जम्मू-कश्मीर के कटड़ा-बनिहाल रेल संपर्क में चिनाब नदी पर बन रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज को रखा गया है। लेकिन यह बात शायद ही आपको पता हो कि इस ब्रिज में भिलाई में तैयार किए जा रहे गर्डर का उपयोग किया जा रहा है।
भिलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में सबसे ऊपर जम्मू-कश्मीर के कटड़ा-बनिहाल रेल संपर्क में चिनाब नदी पर बन रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज को रखा गया है। लेकिन यह बात शायद ही आपको पता हो कि इस ब्रिज में भिलाई में तैयार किए जा रहे गर्डर का उपयोग किया जा रहा है। यहां की निजी कंपनी एटमास्को नंदिनी इसका निर्माण कर रही है। इसके लिए उसने 350 कर्मचारी लगाए हैं। आर्सेलर मित्तल गुजरात से स्पेशल ग्रेड के प्लेट मंगाए जा रहे हैं, जिनकी चौड़ाई चार मीटर तक है। एक गर्डर का वजन 35000 किलो है। यह ब्रिज इन गर्डर पर ही टिका होगा।
रेलवे के अनुसार इस ब्रिज की ऊंचाई 359 मीटर (1177 फीट) है, जबकि एफिल टावर 324 मीटर (1063 फीट) ऊंचा है। वर्तमान में चीन के बेपेजिंयाग नदी पर बना 275 मीटर ऊंचा ब्रिज विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज में शुमार है। कोंकण रेलवे द्वारा इस ब्रिज निर्माण कराया जा रहा है। 1315 मीटर लंबे इस ब्रिज को पूरा करने के लिए अप्रैल 2021 तक का समय तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट होने की वजह से भारत सरकार की ओर से इसकी लगातार निगरानी की जा रही है। वर्ष 2002 में शुरू किए गए इस ब्रिज के निर्माण को असुरक्षित बताकर 2008 में रोक दिया गया था। यह ब्रिज 260 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा को भी झेल सकेगा।जापान से मंगा रहे खास पेंट
गर्डर में लगाने के लिए जापान से विशेष पेंट मंगाया जा रहा है। इसकी कीमत 3000 रुपये प्रति लीटर है। दावा किया जा रहा है कि यह गर्डर में लगे लोहे में कम से कम 40 साल तक जंग नहीं लगने देगा। इस पेंट को विशेष तापमान में रखा जाएगा, ताकि उसकी गुणवत्ता प्रभावित न हो।
चार एजेंसियां लगातार रख रहीं नजर
इस ब्रिज के निर्माण पर जहां भारत सरकार नजर रखे हुए है, वहीं भिलाई में चार एजेंसियां चौबीसों घंटे गर्डर निर्माण का कार्य देख रही हैं। इनमें नार्दन रेलवे, कोंकण रेलवे, सीआइएल व एक निजी एजेंसी शामिल है।