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सरकार की योजनाओं और नीतियों से खेती-किसानी के प्रति आकर्षण बढ़ा : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर, छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज चर्चा के बाद वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 505 करोड़ 700 रुपए का तृतीय अनुपूरक बजट पारित किया गया। मुख्य बजट 95 हजार 650 करोड़ रुपए का था। प्रथम, द्वितीय और तृतीय अनुपूरक बजट को मिलाकर बजट का आकार अब एक लाख 02 हजार 349 करोड़ रुपए हो गया है। इससे पहले मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सदन में अनुपूरक बजट प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि राज्य शासन की योजनाओं और नीतियों के कारण छत्तीसगढ़ में किसानों का खेती-किसानी के प्रति आकर्षण बढ़ा है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त इस वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के पहले मिल जाएगी।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार ने किसानों की कर्जमाफी और हर साल बोनस देने का वादा किया था जिसे पूरा नहीं किया। पिछली सरकार के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में कृषि का आकार लगातार सिकुड़ता रहा। समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए 15 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से केवल 12 लाख किसानों ने धान बेचा था। इस वर्ष 21 लाख किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए पंजीयन कराया जिसमें से साढ़े 20 लाख से अधिक किसानों ने धान बेचा। इस बार हमारे कार्यकाल में धान के रकबे में 21 लाख हेक्टेयर तक की वृद्धि भी हुई। उन्होंने कहा कि दिल्ली में धरने पर बैठे किसान मांग कर रहे हैं कि जैसे छत्तीसगढ़ में धान खरीदी हो रही है, वैसी ही खरीदी पूरे देश में की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ भेदभाव कर रही है। जब से छत्तीसगढ़ में नयी सरकार बनी है केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से में 14 हजार 73 करोड़ रुपए की कमी की गई है। केंद्र सरकार के नये बजट में एक्साइज ड्यूटी कम करने और पेट्रोल-डीजल में 4 प्रतिशत सेस लगाने का प्रावधान किया गया है। सेस की पूरी राशि केंद्र को जाएगी जिससे छत्तीसगढ़ को लगभग 1000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। 14 हजार 73 करोड़ रुपए की राशि कम नहीं होती, यदि यह राशि मिल जाती तो हमें कर्ज लेने की आवश्यकता ही नहीं होती। पिछली सरकार जितना लोन लेती थी, उसी प्रतिशत में ही वर्तमान राज्य सरकार कर्ज ले रही है। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब छत्तीसगढ़ को केंद्रीय करों में मिलने वाले हिस्से में मात्र 1058 करोड़ रुपए की कमी हुई, इस दौरान कई वर्षों में प्रावधानित राशि से अधिक राशि राज्य को मिली।

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