इंटरनेट के क्षेत्र में विदेशी साइटों की बढ़ती ताकत से सरकार सतर्क
नई दिल्ली। इंटरनेट मीडिया साइट ट्विटर ने जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अपने प्लेटफार्म से बाहर किया है उसको लेकर भारत में अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया जताई जा रही है। सत्तारूढ़ भाजपा के कुछ नेताओं ने जहां कड़ी आपत्ति जताई वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इन कंपनियों की बढ़ती ताकत को लेकर सर्तक रहने की जरूरत है। बगैर किसी देरी के इंटरनेट मीडिया साइट्स को लेकर अपना सुरक्षा कवच मजबूत करना चाहिए।
डाटा प्रोटेक्शन विधेयक की जरूरत
संसद में लंबित डाटा प्रोटेक्शन विधेयक तेजी से पारित कराने की जरूरत बताई गई ताकि भारत में इन साइट्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों के अधिकारों की कुछ रक्षा सुनिश्चत हो सके। एक बड़ा वर्ग ट्विटर के इस कदम को सही भी मानता है क्योंकि ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते अमेरिका की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने का काम किया है।
विदेशी कंपनियों के रवैये पर गहरी नजर
सरकारी सूत्रों का कहना है कि वह एक इंटरनेट मीडिया साइट की तरफ से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट को बंद करने के साथ वाट्सएप की तरफ से अपने नियम-शर्तों में हो रहे बदलाव को लेकर आने वाली प्रतिक्रियाओं पर नजर रखे हुए हैं। सरकार का मानना है कि विदेशी कंपनियों की साइट्स मौजूदा परिवेश में विचारों को सामने रखने का एक बढि़या प्लेटफार्म हैं जिनका समाजिक व आर्थिक विकास पर सकारात्मक असर हो रहा है।