छत्तीसगढ़

कार्बन स्टाक की क्षमता से पता करेंगे कितनी जैव विविधता वाले व घने हैं छत्तीसगढ़ के जंगल

बिलासपुर। कार्बन स्टाक की क्षमता से पता चलता है कि जंगल कितना घना और जैव विविधता वाला है। इसके लिए प्रदेश के जंगलों में कार्बन स्टाक की क्षमता का मापन किया जाएगा। देहरादून भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के सदस्यों की ओर से इसके मापन की विधि बताने और प्रशिक्षण देने के लिए प्रदेश के चार वनमंडलों का चयन किया गया है। प्रशिक्षण की शुरुआत मरवाही वनमंडल से कर दी गई है, जहां संयुक्त वन प्रबंधन समिति के सदस्यों व वन कर्मचारियों को बताया गया कि जंगल के अंदर कार्बन का कितना स्टाक है इसे कैसे मापना है।

देहरादून से डा. मोहम्मद शाहिद और प्रो. राघवेेंद्र बिसेन पहुंचे हैं। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद की ओर से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम छत्तीसगढ़ में चार जगहों पर आयोजित किया जाएगा।

पहले चरण का कार्यक्रम मरवाही में हुआ। शुक्रवार को दोनों सदस्य कटघोरा वनमंडल के पाली जाएंगे। उन्होंने बताया कि वृक्ष कार्बन को अवशोषित करते हैं। इसके बाद आक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए यह जानना बेहद जरूरी होता है कि किसी भी जंगल के पेड़ों ने कितना कार्बन स्टाक किया।वनों की कार्बन स्थिति का आकलन करने के लिए प्रत्येक दो वर्ष के अंतराल में भारत के वनों की स्थिति की रिपोर्ट भारतीय वन सर्वेक्षण भारत सरकार द्वारा जारी की जाती है। रिपोर्ट में देश के वन आवरण क्षेत्र की गुणवत्ता, जैव विविधता, वन के प्रकार, कार्बन स्टाक व वनों के आसपास रहने वाले नागरिकों की वन संसाधन पर निर्भरता की स्थिति का पता चलता है। 

डा. मोहम्मद शाहिद ने बताया कि चीन और अमेरिका के बाद भारत ग्रीन हाउस गैस (जीएचजीएस) का उत्सर्जन करने वाला विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। कोयले से चलने वाले पावर प्लांट, चावल की खेती और पशु इस उत्सर्जन के सबसे बड़े कारक हैं और इसमें तेजी से बढ़ोतरी जारी है।

प्रशिक्षण के दौरान पहले मौखिक की जानकारी दी गई। इसके बाद वन प्रबंधन समिति के सदस्य व वन कर्मचारियों को जंगल लेकर गए। यहां मिट्टी, झाड़ी व पत्तियां व पेड़ों की गोलाई के आधार पर कार्बन मापने की विधि बताई गई। इस तरह की जानकारी होना बेहद जरूरी रहता है।

Patrika Look

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