कोविड-19 के चलते बंद हैं स्कूल, खेतों में मछलियां पकड़ रहे बच्चे
कोंडागांव। कोविड-19 के चलते इन दिनों स्कूल बंद हैं। लगातार छुट्टियों के चलते बच्चों का समय नहीं कट रहा है। जिन बच्चों के पास मोबाइल व कंप्यूटर उपलब्ध हैं वह ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखे हुए हैं। वहीं सरकारी स्कूल के बच्चे इन दिनों तालाब और खेतों में मछलियों के शिकार का आनंद ले रहे हैं। साथ ही घर के लिए सब्जी का जुगाड़ भी कर रहे हैं। बच्चे खेल- खेल में मछलियां पकड़ कर मनोरंजन तो कर ही रहे हैं साथ ही जायकेदार सब्जी का जुगाड़ भी कर रहे हैं। जिले के माकड़ी ब्लॉक के रांधना के स्कूली बच्चे स्टील हुक से मछलियों का शिकार कर रहे हैं। इसे गांव में गरी कांटा के नाम से जाना जाता है जो आमतौर पर मनिहारी की दुकान में उपलब्ध होता है। गरी कांटा से मछली पकड़ने में जहां बच्चों को आनंद मिलता है, वहीं युवक भी गरी कांटा से मछलियां पकड़ते हैं। इस तरीके से मछली के शिकार में एक बार में एक ही मछली पकड़ में आती है। एक- एक मछली इकट्ठा करके घर की सब्जी के लायक मछलियां एकत्र कर लेते हैं।
गरी कांटा से मछलियां पकड़ने के लिए सबसे पहले कांटे में लालच देने के लिए मछलियों का भोजन डाला जाता है। जिसके लिए ज्यादातर केंचुआ का उपयोग होता है। जमीन के नीचे नमी वाले भाग में खोदकर केंचुआ निकालकर उसे एक पॉलिथीन में एकत्र करते हैं। तत्पश्चात उसे गरी कांटा में फंसाया जाता है। जिसे खाने के लिए मछलियां झपटती हैं और कांटे में ही फंस कर रह जाती हैं। क्योंकि कांटा तीर नुमा होता है, जिससे लाख प्रयास के बाद भी मछली कांटे से बाहर नहीं निकल पाती।
गोरसूराम एवं कोन्दूराम ने बताया कि इन दिनों खेतों एवं पोखरों का पानी कम हो रहा है जिससे वहां मछलियों का शिकार काफी आसान है। इसी के चलते बच्चे आजकल खेतों में गरी कांटा से मछलियों का शिकार कर रहे हैं। इसमे कई बार दिन भर का समय बीत जाता है तब कहीं सब्जी का जुगाड़ हो पाता है।
खेतों एवं पोखरों मे छोटी मछलियों का शिकार किया जाता है। छोटी मछलियां खाने के अलग फायदे बताए जाते हैं। जानकारी के मुताबिक छोटी मछलियों के सेवन से डायबिटीज के मरीजों का शर्करा का स्तर नियंत्रित करने में मदद मिलती है, वहीं यह आंख व अर्थराइटिस के मरीजों के लिए भी फायदेमंद होती है। गांवों में खेतों में पानी खत्म होने के बाद कटाई के समय भी अक्सर छोटी मछलियां पकड़ते देखा जा सकता है।