हाथी ने भगवान विष्णु को रक्षा के लिए पुकारा और अपने को भगवान को समर्पित किया। भक्त की करुण पुकार सुनकर भगवान ने उसे बचाया।
रायपुर। जो भगवान की शरणागति प्राप्त कर लेता है, भगवान उसकी हर तरह से रक्षा करते हैं। भगवान को पाने के लिए उन्हें अपना बनाने के लिए धन, बल, वैभव, ऐश्वर्य, कुलीनता की आवश्यकता नहीं होती। अपितु भाव से भगवान को भजकर जीव भवसागर को पार कर सकता है। यह संदेश प्रोफेसर कॉलोनी कदम चौक में श्रीमद्भागवत कथा में गोपी दास मठ के महंत राजीव नयन शरण महाराज ने दिया।
उन्होंने गज और मगरमच्छ प्रसंग में बताया कि जब मगरमच्छ ने हाथी के पैर को जकड़ लिया, तो हाथी जान बचाने के लिए खूब प्रयास किया। मगर, वह अपने को छुड़ा नहीं पाया। तब हाथी ने भगवान विष्णु को रक्षा के लिए पुकारा और अपने को पूरी तरह भगवान को समर्पित कर दिया। भक्त की करुण पुकार सुनकर भगवान ने हाथी की जान बचाई।
ऐसे ही पूर्ण रूप से भगवान की शरण में अपने आपको समर्पित कर देना चाहिए। नरसिंह अवतार प्रसंग में बताया कि भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ही नरसिंह के रूप में खम्भे को चीरकर प्रगट हुए। इसके बाद समुद्र मंथन की कथा सुनाई, जिसमें चौदह रत्न निकले जिसे देव-दानव ने आपस में बांट लिया और अंत में भगवान श्री विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर अमृत का पान देवताओं को कराया, जिससे देवता अमर हो गए।