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छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला और संस्कृति हमारी पहचान – भूपेश मुख्य मंत्री

कोण्डागांव . मुख्य मंत्री भूपेश बघेल द्वारा नवनिर्मित शिल्प नगरी का लोकार्पण करने के दौरान छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला और संस्कृति को हमारी पहचान बताते हुए शिल्पकारों को सम्मानित किए जाने के संबंध में जिला जनसम्पर्क कार्यालय कोण्डागांव ने जानकारी देते बताया कि मुख्य मंत्री भूपेश बघेल द्वारा जिले की नई पहचान के रूप में लगभग 3.14 करोड़ की लागत से बनाये गये शिल्प नगरी का लोकार्पण किया। मुख्य मंत्री ने इस अवसर पर गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध कला और संस्कृति हमारी अपनी पहचान है। सभी कलाकार अपनी कलाकृतियों के माध्यम से अपनी छिपी हुई कला की अभिव्यक्ति को अपने कला में समाहित करते हैं। हमारी संस्कृति हजारों साल पुरानी है। शिल्पकला के माध्यम से देश-विदेश में हमारी पहचान बनी है। राज्य सरकार की कोशिश रही है, जितने भी सांस्कृतिक धरोहर जो जनजाति जन-जीवन में रचे-बसे हैं, उन्हें कैसे क्षेत्र विशेष में पहचान दिलाएं। बस्तर की पहचान दशहरा महोत्सव, दंतेश्वरी माईं, बेलमेटल की कलाकृतियां, रोमांचक मुर्गा बाजार और जनजातियों शिक्षा का केन्द्र घोटूल ही थी। आज के परिवेश में यह पूर्ण रूप से बदल चूकी है। आज बस्तर शिक्षा, खेल, कला और अपने पर्यटन स्थलों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बना चूका है। मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने शिल्पनगरी के अवलोकन के दौरान कला की क्रमिक विकास की कड़ी को आम जनता के सामने सभी संग्रहालय और आयोजित होने वाली प्रदर्शनियों में इनका जीवंत प्रदर्शन करने की बात कही। इससे लोगों को कला के प्रति और अधिक रूचि बढ़ेगी, शिल्प कलाकृतियों के तैयार होने के प्रारंभिक से अंतिम चरण तक की प्रक्रिया को बताया जाने से कलाकारों की कृतियों और उत्पादों को उचित पारिश्रमिक मिलेगा इस अवसर पर मुख्य मंत्री ने शिल्पकारों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक पूर्ण रूप से समीक्षा कर राज्य स्तर पर आवश्यक पहल करने का भरोसा दिलाया। इस दौरान मुख्य मंत्री भूपेश बघेल का परम्परा के अनुरूप शिल्पियों ने स्वागत कर उन्हें प्रतीक चिन्ह भेंट किये। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं ग्रामोद्योग मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, आबकारी और उद्योग मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज, हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप, बस्तर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं केशकाल विधायक संतराम नेताम, कोण्डागांव विधायक मोहन मरकाम, राज्यसभा सांसद श्रीमती फूलोदेवी नेताम, जिला पंचायत अध्यक्ष देवचंद मातलाम, उपाध्यक्ष श्रीमती भगवती पटेल, नगर पालिका परिषद् की अध्यक्ष श्रीमती हेमकुंवर पटेल और उपाध्यक्ष जसकेतु उसेण्डी, संचालक ग्रामोद्योग सुधाकर खलखो, हस्तशिल्प विकासबोर्ड के अधिकारी एस.एल.धु्रर्वे, एस.एल.वट्टी सहित अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे। मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने अपने करकमलों से बेलमेटल में राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिल्पी सुखचंद पोयाम, श्रीमती लता बघेल और श्रीमती सोनई विश्वकर्मा को साल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। मुख्य मंत्री श्री बघेल ने यहां पर डिजाईनिंग सेंटर, फिनिशिंग लैब, केंटीन, शिल्प कुटीर, स्टोर बिल्डिंग, प्रशिक्षण एवं कार्यशाला-सेमीनार हाॅल, प्रशासनिक कार्यालय, कर्मचारियों हेतु निवास, एक्सीबिशन सेंटर, निर्मित सड़क, शिल्प वाटिका का अवलोकन किया। इस दौरान मुख्य मंत्री कलाकृतियों की बारीकियों से रूबरू होने के साथ ही वाद्य यंत्रों का वादन करने सहित जिले के उत्कृष्ट शिल्पकारों से मुलाकात कर उनकी कलाओं के संबंध में चर्चा की।
ज्ञात हो कि राज्य शासन की मंशा अनुरूप कोण्डागांव को शिल्प नगर के रूप में विकसित करने की योजना है। जिला प्रशासन द्वारा जिले की पारम्परिक शिल्प कलाओं के माध्यम जिले को देश में अलग पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए शिल्प नगरी में ही शिल्पियों को कार्य करने की सुविधा, विपणन प्रदर्शन आदि की सुविधा प्रदान की गई है। शिल्प कला यह केन्द्र तीन एकड़ में फैला हुआ है और इसमें में अब तक 634 व्यक्ति पंजीकृत हैं। शिल्पियों को एक ही स्थान पर निर्माण हेतु कच्चा माल उपलब्ध कराकर उन्हें एक समन्वयित माहोल प्रदान किया जाएगा। इस केन्द्र में पारम्परिक सुविधाओं के अतिरिक्त ट्रेनिंग एवं कार्यशाला का भी निर्माण किया गया है, जिससे शिल्प क्षेत्र में आ रहे निरंतर नये बदलावों के अनुरूप नये अवसरों की ओर अग्रसर रहें। उल्लेखनीय है कि जिले में बेलमेटल शिल्प, लौह शिल्प, तुम्बा शिल्प, काष्ठ शिल्प एवं टेराकोटा शिल्प में लगभग 6000 शिल्पकार कार्यरत हैं वर्तमान में शिल्पकारों की वास्तविक जानकारी हेतु हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा शिल्पी सर्वे का कार्य किया जा कार्य किया जा रहा है, अभी तक कुल 537 शिल्पियों का सर्वे किया जा चूका है। जिले का मुख्य शिल्प बेलमेटल है जिसकी पहचान देश एवं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर बस्तर ढ़ोकरा शिल्प के नाम से जाना जाता है जिले में बेलमेटल बहुसंख्यक शिल्पकार कोण्डागंाव एवं करनपुर में है, इसके अलावा दहिकोंगा, बरकई में भी इनकी अधिकता है जबकि लौह शिल्प के शिल्पी ग्राम किड़ईछेपड़ा, बुनागांव, उमरगांव, जामकोटपारा, बनियागांव, सोनाबाल, कुसमा, बड़ेराजपुर आदि ग्रामों में निवासरत हैं, इसके अतिरिक्त काष्ठ, बांस एवं तुम्बा शिल्प ने भी जिले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, उपरोक्त समस्त शिल्प कलाकृतियों की वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 9 से 10 करोड़ के बीच है इनको बेहतर बाजार उपलब्ध कराने ग्रामोद्योग विभाग के शबरी एम्पोरियम, प्रर्दशनियों, तथा संस्थानों के माध्यम से किया जा रहा है, इसके अतिरिक्त शिल्पकार प्राईवेट सेक्टर में भी अपने उत्पादों का विक्रय कर रहे हैं।

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