टाप दो फीसद वैज्ञानिकों में शामिल रूपेश जाएंगे अमेरिका
नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के अति पिछड़े कोंडागांव जिले के छोटे से गांव माकड़ी से निकलकर दुनियाभर के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में स्थान हासिल करने वाले रूपेश मिश्रा को कोरोना पर शोध करने के लिए अमेरिका के परड्यू विश्विद्यालय से आमंत्रण मिला है।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के अति पिछड़े कोंडागांव जिले के छोटे से गांव माकड़ी से निकलकर दुनियाभर के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों की सूची में स्थान हासिल करने वाले रूपेश मिश्रा को कोरोना पर शोध करने के लिए अमेरिका के परड्यू विश्विद्यालय से आमंत्रण मिला है। रूपेश बायो टेक्नालाजी में विशेषज्ञ हैं और अपने रिसर्च के बूते उन्होंने दुनिया के टॉप वैज्ञानिकों में स्थान बनाया है। माकड़ी कोंडागांव जिले का ब्लाक मुख्यालय है पर बस्तर का यह इलाका अति पिछड़ा है। माकड़ी में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने फरसगांव हायर सेकंडरी स्कूल से स्कूली शिक्षा हासिल की। बचपन से मेधावी रहे रूपेश ने इसके बाद रूंगटा कालेज से ग्रेजुएशन किया और बिरला इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी से पीएचडी की। पोस्ट पीएचडी अध्ययन के लिए वे फ्रांस गए। इसके बाद वह लगातार बायोटेक्नालाजी में काम करते रहे। पिछले महीने अमेरिका की प्रति्रित स्टनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनिया के दो फीसद अर्थात एक लाख 59 हजार 683 वैज्ञानिकों की सूची जारी की। इस सूची में भारत के करीब 1500 वैज्ञानिकों के नाम हैं। इनमें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के 14 व आइआइटी के 22 शोधार्थियों के साथ रूपेश मिश्रा का नाम भी शामिल है। सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों में शामिल रूपेश बस्तर व प्रदेश के अन्य शोधार्थियों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं।
भारत के लिए काम करने की तमन्ना
रूपेश बीते करीब 20 वर्षों से रिसर्च के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। वह प्रसिद्ध अमेरिकी वैज्ञानिक जोसेफ वेंग के साथ काम कर चुके हैं। बायो टेक्नालाजी के क्षेत्र में उन्हें भारत सरकार की ओर से रमालिंगा फेलोशिप मिल चुका है। अमेरिका की अमेटी यूनिवर्सिटी में उन्हें सहायक प्राध्यापक नियुक्त किया गया है। इन उपलब्धियों के बाद भी उनका मन भारत में ही लगता है। कोरोना लाकडाउन में वे माकड़ी आए तो पांच महीने तक यहीं रह गए। उनका कहना है कि बहुत दिनों बाद परिवार व दोस्तों का साथ मिला। दुनिया के दूसरे देशों में शोध के लिए बुलाया जाता है पर काम भारत के लिए ही करना है। अभी कोविड पर रिसर्च करना है। इसका लाभ दुनिया के दूसरे देशों के साथ ही हमारे देश को भी मिलेगा।