ट्यूनीशिया के ग़रीबों और रसूख़दारों से लेकर इन दोनों के बीच में मौजूद तबके…मेरी जिनसे भी बात हुई उनमें से कइयों ने अक्सर मुझसे यही सवाल पूछा, “ईमानदारी से बताइए, क्या आपको वाक़ई लगता है कि आज चीजें बेहतर हैं?”हाँ, ये सवाल जरूर पूछा जा सकता है कि आख़िर “बेहतर’ होने का क्या पैमाना है?
10 साल पहले ट्यूनीशिया में जो घटनाएं घटी थीं, उन्हें आज हम ‘अरब स्प्रिंग’ के नाम से जानते हैं. इस दफ़ा इसकी बरसी पर चार दिन का राष्ट्रीय लॉकडाउन लगा दिया गया ताकि कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाई जा सके.इसकी अगली रात देश भर के एक दर्जन से ज़्यादा कामकाजी इलाकों में युवाओं और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं.शुरुआत में यह साफ़ नहीं हो सका कि ये झड़पें किस वजह से हुईं. ये विरोध प्रदर्शन थे या दंगे, इसे लेकर भी नागरिकों और अधिकारियों के बयानों में विरोधाभास है.