बीजू पटनायक पायलट थे और जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ संकट में घिर गया था तब उन्होंने लड़ाकू विमान डकोटा उड़ा कर हिटलर की सेनाओं पर काफी बमबारी की थी जिससे हिटलर पीछे हटने को मजबूर हो गया था।उनकी इस बहादुरी पर उन्हें सोवियत संघ का सर्वोच्च पुरस्कार भी दिया गया था और उन्हें सोवियत संघ ने अपनी नागरिकता प्रदान की थी…..
कश्मीर पर जब कावालियों ने आक्रमण किया था तब बीजू पटनायक थे जिन्होंने प्लेन उड़ा कर दिन में कई चक्कर दिल्ली से श्रीनगर का लगाए थे और सैनिकों को श्रीनगर पहुंचाया था…..
इंडोनेशिया कभी डच यानी हालैंड का उपनिवेश था और डच ने इंडोनेशिया के काफी बड़े इलाके पर कब्जा किया था और डच सैनिकों ने इंडोनेशिया के आसपास के सारे समुद्र को टच कंट्रोल करके रखा था और वह किसी भी इंडोनेशियन नागरिक को बाहर नहीं जाने देते थे।उस वक्त इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री सजाहरीर को एक कांफ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए भारत आना था लेकिन डच ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो ने भारत से मदद मांगी और इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने बीजू पटनायक से मदद मांगी।बीजू पटनायक और उनकी पत्नी ने अपनी जान की परवाह किए बगैर एक डकोटा प्लेन लेकर डच के कंट्रोल एरिया के ऊपर से उड़ान भरते हुए वे उनकी धरती पर उतरे और बेहद बहादुरी का परिचय देकर इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री को सिंगापुर होते हुए सुरक्षित भारत ले आए।इससे इंडोनेशिया के लोगों में एक असीम ऊर्जा का संचार हुआ और उन्होंने डच सैनिकों पर धावा बोला और इंडोनेशिया एक पूर्ण आजाद देश बना।बाद में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो की बेटी हुई तब उन्होंने उसका नामकरण करने के लिए बीजू पटनायक और उनकी पत्नी को बुलाया था और बीजू पटनायक और उनकी पत्नी ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की बेटी का नाम मेघवती रखा था।इंडोनेशिया ने बीजू पटनायक और उनकी पत्नी को अपने देश की आनरेरी नागरिकता प्रदान की थी।
*बीजू पटनायक के निधन के बाद इंडोनेशिया में सात दिनों का राजकीय शोक मनाया गया था और रूस में एक दिन के लिए राजकीय शोक मनाया गया था तथा सारे झंडे झुका दिए गए थे।
*हमारे देश के ऐसे महान शख्स के बारे में पता चला तो गर्व की अनुभूति हुई। ये जानकारी सबको देनी चाहिए….*