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भारत में फाइजर व माडर्ना की वैक्सीन को अनुमति की संभावना नहीं

नई दिल्ली। फाइजर और माडर्ना की वैक्सीन को फिलहाल भारत में इजाजत दिए जाने की संभावना नहीं है। बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव डाक्टर रेणु स्वरूप ने साफ कर दिया कि भारत में वैक्सीन वितरण की लाजिस्टिक्स दो से आठ डिग्री सेंटीग्रेड तापमान के लिए तैयार की गई है। जबकि फाइजर और माडर्ना की वैक्सीन के लिए -20 और -70 डिग्री तापमान की जरूरत होती है।

भारत में अभी तक जिन दो वैक्सीन, कोविशील्ड और कोवैक्सीन को इजाजत मिली है, उन्हें दो से आठ डिग्री तापमान पर रखने की जरूरत है। जाहिर है इन्हें देश में मौजूदा लाजिक्टिक्स के सहारे आसानी से वितरित किया जा सकता है। डाक्टर रेणु स्वरूप ने कहा कि इसे देखते हुए रूस की वैक्सीन स्पुतनिक फाइव का भारत में तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। डाक्टर रेड्डी लेबोरेटरी ने इसके उत्पादन के लिए समझौता भी किया है। अभी स्पुतनिक फाइव को रखने के लिए -18 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है। भारत के लिए स्पुतनिक फाइव को दो से आठ डिग्री के तापमान के लिए तैयार करने को कहा गया है।

इसके अलावा कैडिला-जायडस की वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल की अनुमति मिल गई है। डीएनए तकनीक पर आधारित इस वैक्सीन के स्टोरेज लिए भी दो से आठ डिग्री के तापमान की ही जरूरत पड़ेगी।

वैसे सरकार से फाइजर और माडर्ना को सीधे तौर मना नहीं किया गया है। फाइजर ने भारत में आपात इस्तेमाल की इजाजत के लिए आवेदन भी किया था। कोवैक्सीन और कोविशील्ड को इजाजत मिलने और फाइजर को नहीं मिलने के बारे में पूछे जाने पर स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि डीसीजीआइ ने फाइजर को अतिरिक्त डाटा के साथ प्रेजेंटेशन देने के लिए तीन बार समय दिया, लेकिन फाइजर ने इसका जवाब नहीं दिया।

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