छत्तीसगढ़

मास्क ने रोकी संक्रमण की रफ्तार, सालभर में 1620 टीबी रोगी हुए कम

बिलासपुर। टीबी या क्षय रोग जानलेवा बीमारी है। यदि समय पर उपचार नहीं मिले गंभीर परिणाम सामने आते हैं। विश्व में भारत के अदंर टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं। जिले में भी यही स्थिति है। लेकिन पिछले एक साल में टीबी के संक्रमण की रफ्तार थमी है। यह कोई स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धि नहीं है। बल्कि कोरोना महामारी के डर ने लोगों को मास्क पहनने के लिए मजबूर किया। इसका प्रत्यक्ष फायदा यह मिला कि हवा से एक से दूसरे व्यक्ति तक फैलने में टीबी रोग सफल नहीं हो पाया। इसी वजह से साल 2020 में जिले में क्षय रोगियों के आंकड़े में 1620 की कमी दर्ज की गई। साल 2019 में इनकी संख्या 4273 थी।

हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को इस जानलेवा बीमारी के प्रति जागरूक करना है। यह एक संक्रामक बीमारी है जो कि माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। फेफड़ों में होने वाली टीबी को पल्मोनरी टीबी कहा जाता है और जब यह शरीर के किसी दूसरे भाग में होता है तो इसे एस्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं।

समय रहते इसका उपचार मिल जाए तो रोगियों को आसानी से बचाया जा सकता है। लेकिन रोगी की पहचान में देरी होने पर मौत निश्चित है। यह धीरे-धीरे पूरी रोगप्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर शरीर के अत्याधिक कमजोर बना देता है। इस रोग के भयानक परिणाम को देखते हुए लोगों को इससे बचाने का प्रयास किया जाता है। जिला स्तर पर गौर किया जाए तो सालों से टीबी रोगियों की संख्या कम नहीं हो रही थी। जिले में हर साल औसतन चार से पांच हजार के बीच नए टीबी रोगियों की पहचान की जाती है। साल 2018 में जिले में 4372, 2019 में 4273 मरीज मिले थे। वहीं 2020 में भी सरकारी अमला की आशंका थी कि इसी के आसपास की संख्या में मरीज मिलेंगे। लेकिन कोरोना काल ने टीबी रोग को दूर करने का एक नया उपाय दिया है। महामारी के डर से लोग मास्क पहन रहे थे। इसका अप्रत्यक्ष असर टीबा रोग के फैलाव पर पड़ा और एकदम से मामलों में गिरावट आई है। 

इस मामले में जिला क्षय रोग अधिकारी डा. गायत्री बांधी का कहना है कि मास्क पहनने की वजह से हवा में वायरस फैलने की आशंका कम हुई है। इसी वजह से साल 2020 में इसके मरीजों की संख्या कम हुई है। 2020 में कुल 2653 मरीज मिले हैं। साफ है कि टीबी से लड़ने के लिए मास्क एक नया हथियार साबित हुआ है। अब हर टीबी मरीज को मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है। यदि वे मास्क पहनते हैं और नियमित दवाओं का सेवन करते हैं तो वे ठीक होने के साथ दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकेंगे।

कैसे फैलता है क्षय रोग

जब क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति बोलता, खांसता या छींकता है तब उसके साथ संक्राम द्रोप्लेट न्यूक्लाई उत्पान होते हैं। यह हवा के माध्यम से किसी अन्य स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। यह बीमारी हवा के जरिये बहुत आसानी से फैलती है। इसी वजह से इसे एक खतरनाक बीमारी माना जाता है।

2025 तक टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने का लक्ष्य

देश में टीबी रोग से हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है। इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत 2025 में देश को टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

ये हैं रोग के लक्षण

टीबी रोग के लक्षण में लगातार दो सप्ताह तक खांसी आना आगे भी जारी रहना, खांसी के साथ खून आना, वजन घटना, सीने में दर्द, गले में गिल्टी या सूजन आना, शाम को बुखार आना या ठंड लगना, सांस फूलना, कमजोरी का अहसास होना व नजरों के सामने धुंधलापन छाना।

ऐसे कर सकते हैं रोकथाम

– बच्चों को बैसिलस कैल्मेट ग्युरिन का टीकाकरण कराना चाहिए।

– सक्रिय मामलों का पता लगने पर उनका तत्काल इलाज शुरू करवाना चाहिए।

– टीबी रोग से संक्रमित रोगी को खांसते समय मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए।

– भीड़ वाले में थूकने से बचना चाहिए।

– सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

– ताजे फल, सब्जी और कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसायुक्त आहार का सेवन कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।

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