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ये हाल है जिले का, मजदूरी भुगतान के लिए भटक रहे मजदूर

मजदूरी भूगतान में गड़बडी की आशंका, जांच कर भूगतान की मांग

कोंडागांव। ग्राम पंचायत लुभा के आश्रित ग्राम संडसा व गांयापारा में ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा योजना के तहत कराए गए कार्यों में किए गए मजदूरी का लंबित भुगतान तत्काल कराए जाने हेतु पीडित मजदूरों द्वारा एक लिखित आवेदन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत माकडी जिला कोण्डागांव के समक्ष प्रस्तुत करते हुए, आवेदन की एक प्रतिलिपि कलेक्टर कोण्डागांव को सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया है। अपने आवेदन में परेशान मजदूरों ने लेख किया है कि हम सभी ग्राम पंचायत लुभा के आश्रित ग्राम संडसा व गांयापारा, जनपद पंचायत माकडी, जिला कोण्डागांव के निवासी हैं। ग्राम पंचायत लुभा के द्वारा विगत कई वर्शों से गांव के गरीबों को रोजगार प्रदाए करने हेतु षासन के मनरेगा योजना के तहत विभिन्न किसानों के खेतों में डबरी का निर्माण, खेत मरम्मत कार्य, नाला में बोरी बंधान कार्य, सड़क का निर्माण आदि जैसे निर्माण कार्यों को कराया तो जा रहा है, लेकिन वहीं मनरेगा द्वारा वर्श 2015-16 से लेकर 2020 तक कराए गए विभिन्न कार्यों में मजदूरी का कार्य करने वाले कई मजदूरों को उनकी मजदूरी का भूगतान आज तक नहीं हो सका है। अतः ग्राम पंचायत लुभा के आश्रित ग्राम संडसा व गांयापारा में ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा योजना के तहत कराए गए अलग-अलग कार्यों में किए गए मजदूरी का लंबित भुगतान तत्काल कराया जाए। वहीं कई वर्श पुराना से लेकर वर्तमान वर्ष तक का मजदूरी भूगतान अप्राप्त होने से परेषान मजदूरों ने प्रेस प्रतिनिधि को बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायक सचिव से बकाया मजदूरी मांगने पर हम मजदूरों से कहा जाता है कि किसके कहने पर तुम लोगों ने काम किया है, जो तुम लोगों को मजदूरी का भूगतान किया जाएगा। मजदूरों ने यह जानकारी भी दी कि ग्राम पंचायत सचिव, रोजगार सहायक सचिव जैसे लोगों के द्वारा मस्टररोल भरने में गडबडी की गई है, जिन मजदूरों ने अपना खून-पसीना बहाकर मजदूरी का कार्य किया, उन्हें मजदूरी का भूगतान करने के बजाए ऐसे लोगों को मजदूरी किया बताकर उनके बैंक खातों में मजदूरी की रकम डाल दी गई है, जिन्होंने कभी मजदूरी ही नहीं किया है। मजदूरी भूगतान हेतु 31 दिसम्बर को आवेदन देने जनपद पंचायत माकडी कार्यालय पहुंचने वालों में षिवनाथ, शंकर, अर्जून, चैतराम, धनीराम, सन्तुराम आदि सहित अन्य काफी पीडित मजदूर शामिल रहे।    

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