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राहुल गांधी, शरद पवार… नए संसद भवन के शिलान्यास कार्यक्रम से दूर रहे कई विपक्षी दलों के नेता

नई दिल्ली | कांग्रेस, वाम दल और कई अन्य विपक्षी पार्टियों के प्रमुख नेता सरकार का विरोध करते हुए नए संसद भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, हालांकि उन्हें इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया गया था। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस नेता सेंट्रल विस्टा परियोजना के विरोध और किसानों के आंदोलन के समर्थन में इस कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”इस कार्यक्रम के लिए दोनों सदनों के हमारे नेताओं और मुख्य सचेतकों को आमंत्रित किया गया गया था, लेकिन वे शामिल नहीं हुए। किसान सड़कों पर हैं, देश की अर्थव्यवस्था की बुरी हालत है, लेकिन सरकार सेंट्रल विस्टा परियोजना पर हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है।” कार्यक्रम में कांग्रेस के राहुल गांधी, एनसीपी के शरद पवार समेत विपक्षी दलों के कई नेता मौजूद नहीं थे।

इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल ने शिरकत की, लेकिन हालांकि कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष होने के कारण निजी हैसियत से वह मौजूद रहे होंगे। कांग्रेस ने संसद के नए भवन की आधारशिला रखे जाने के बाद गुरुवार को सरकार पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि प्रजातंत्र, संवैधानिक मर्यादा और भाईचारे को रौंद कर बनाई जा रही इमारत आखिरकार कैसी होगी।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ट्वीट में कहा, ”मोदी जी, संसद पत्थर से बनी इमारत नहीं है। संसद प्रजातंत्र है, संसद संविधान की मर्यादाओं को मानना है, संसद आर्थिक और सामाजिक समानता है, संसद देश का भाईचारा और सद्भाव है, संसद 130 करोड़ भारतीयों की आशा है।”

उन्होंने सवाल किया, ”ज़रा सोचिए, इन सब को रौंद कर बनाई जा रही संसद की नई इमारत कैसी होगी?” कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अंग्रेजी हुकूमत में बना संसद भवन मध्य प्रदेश के चौसठ योगिनी मंदिर की तरह दिखता है, जबकि नया ‘आत्मनिर्भर संसद भवन (अभी डिजाइन) वाशिंगटन डीसी के पेंटागन की तरह नजर आता है।

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