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सुभाष चंद्र बोस जी का 125 वीं जयंती मनाई गई डॉ अंबेडकर सेवा संस्था के द्वारा

कोंडागांव. डॉ अंबेडकर सेवा संस्था एवं एसटी एससी ओबीसी अल्पसंख्यक के द्वारा संध्या 7:00 बजे बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की अदम कद प्रतिमा के समक्ष नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जन्म जयंती मनाई गई इस अवसर पर उनकी छायाचित्र माल्यार्पण दीप प्रज्वलित किया गया और उनकी जीवनी पर रोशनी डाली गई इस कार्यक्रम में उपस्थित डॉ अंबेडकर सेवा संस्था के सदस्य गण उपस्थित रहे ,संरक्षक आरके मेश्राम, तिलक पांडे ,रामसिंह नाग, अध्यक्ष संतोष सावरकर ,उपाध्यक्ष मुकेश मारकंडे ,सह सचिव रमेश पोयम, पुष्कर सिंह मंडावी ,मुख्य सलाहकार बुध सिंह नेताम ,रंजीत गोटा ,नरेंद्र नेताम ,पी पी गोड़ने ,मन्ना राम नेताम ,भुवन लाल मार्कंडेय ,पुनीरोत दत्ता , सुख सरकार तपन भट्टाचार्य ,हीरा दीवान उमेश प्रधान और समाज के गणमान्य उपस्थित रहे।

इतिहास

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई महापुरूषों ने अपना योगदान दिया था जिनमें सुभाष चंद्र बोस का नाम भी अग्रणी है। सुभाष चन्द्र बोस ने भारत के लिए पूर्ण स्वराज का सपना देखा था। भारत को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए किए उनके आंदोलन की वजह से सुभाष को कई बार जेल भी जाना पड़ा। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को तेज करने के लिए आजाद हिन्द फौज का गठन किया था।
सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस था जो उस समय के प्रख्यात वकील थे। इनकी माता का नाम प्रभावती था। बचपन से ही सुभाष चन्द्र बोस पढ़ाई में बहुत होनहार थे। देशभक्ति का जज्बा उनके अंदर कूट-कूट कर भरा था, भारतीयों पर अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे  अन्याय और अत्याचार के वह सख्त खिलाफ थे। कई यातनाएं सहकर भी उन्होंने भारतीयों पर अंगे्रजों के जुल्मों का विरोध किया। भारत वासियों को राष्ट्र प्रेम के लिए प्रेरित करने वाले नारे ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ और ‘जय हिन्द’ सुभाषचन्द्र बोस ने ही दिए।

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आज सुभाषचन्द्र बोस की जयंती पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ ऐसे प्रसंगों को जो हम सबके लिए भी प्रेरणादायी हैं।
असहाय लोगों की मदद करके खुशी मिलती थी। सुभाष चंद्र बोस के घर के सामने एक भिखारिन रहती थी जिसे दो समय की रोटी भी नसीब नहीं थी। उसकी दयनीय हालत देखकर सुभाष को बहुत दुःख होता था। उस भिखारिन के पास घर भी नहीं था जहां वह खुद को सर्दी, बारिश और धूप से बचा पाती। सुभाष ने प्रण किया कि यदि हमारे समाज में एक भी व्यक्ति ऐसा है जो अपनी आवश्यकताएं पूरी नहीं कर सकता तो मुझे भी सुखी जीवन जीने का क्या अधिकार है, मैं जैसे भी हो ऐसे लोगों ।

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