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15 फीसद संक्रमितों को हैप्पी हाइपोक्सिया, पता ही नहीं चलता कब पहुंच गए गंभीर स्थिति में

रायपुर। कोरोना की दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया बीमारी नई समस्या बनकर सामने आ रही है। इस बीमारी का लक्षण है कि सांस लेने में समस्या, बेचैनी, चिड़चिड़ापन महसूस होने के बाद भी कोविड मरीज खुद के स्वस्थ होने की बात कहता है। मगर, इसकी वजह से मरीज की तबीयत धीरे-धीरे खराब होती जाती है और ऑक्सीजन लेवल 60 से 70 फीसद तक गिर जाता है और मरीज को आइसीयू में भर्ती कराने की जरूरत पड़ जाती है। जहां पर समस्या गंभीर होने की वजह से मौत का खतरा बढ़ जाता है।

राजधानी के लालपुर शासकीय कोविड अस्पताल के नोडल अधिकारी डाक्टर डॉ. प्रशांत साहू के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 15 फीसद कोरोना संक्रमितों में हैप्पी हाइपोक्सिया या साइलेंट हाइपोक्सिया की समस्या देखी जा रही है। वहीं अचानक तबियत अधिक बिगड़ने की वजह से जिन्हें क्रिटिकल केयर वार्ड में भर्ती कराया जा रहा है। उनमें 95 फीसद मरीजों में यह समस्या सामने आ रही है।

होम्योपैथी चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर सत्येंद्र पांडेय के मुताबिक यदि पल्स आक्सीमीटर में 94 फीसद से कम ऑक्सीजन सेचुरेशन आ रहा है और मरीज ठीक महसूस कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि उन्हें चिकित्सकीय सलाह की आवश्यकता है। मरीजों की लगातार मानिटरिंग और ऑक्सीजन लेवल की जांच करते रहना जरूरी है। देखा गया है कि मारिजों की लगातार निगरानी से हैप्पी हाइपोक्सिया के 10 में से नौ मरीज केवल ऑक्सीजन और अन्य नियमित दवाओं से ठीक हो जाते हैं।

हैप्पी हाइपोक्सिया के यह लक्षण

चिकित्सकों ने बताया कि यदि किसी भी कोरोना संक्रमित को हैप्पी हाइपोक्सिया है, तो उस व्यक्ति को बेचैनी होगी और सांस की तकलीफ होने, सांस फूलने के साथ उस चिड़चिड़ापन महसूस होगा। मगर, कोरोना के कई केस में ऐसा नहीं होता। संक्रमण के कारण भले ही संक्रमित व्यक्ति की तबीयत खराब हो रही हो और उसका फेफड़ा कम ऑक्सीजन के स्तर के कारण क्षतिग्रस्त हो रहा हो, तब भी वह ठीक महसूस करता है।

बचाव के लिए यह उपाय जरूरी

– संक्रमित व्यक्ति की लगातार मॉनिटरिंग जरूरी।

– पल्स आक्सीमीटर से आक्सीजन स्तर की जांच करते रहें। समय पर दवाएं लें।

– ऑक्सीजन लेवल 94 के नीचे जाने और लक्षण होने पर भी मरीज को स्थिति सामान्य लगे तो नजरअंदाज न करें, डाक्टर से सलाह लें।

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