छत्तीसगढ़

राज्य के 20 जिलों को डायलिसिस सुविधा का इंतजार

रायपुर । राज्य के 20 जिले राष्ट्रीय निश्शुल्क डायलिसिल कार्यक्रम के तहत डायलिसिस सेवा शुरू होने का वर्षों इंतजार कर रहे हैं। सुविधाएं न होने की वजह से किडनी बीमारी से पीड़ित कई आर्थिक रूप से कमजोर मरीज मौत के मुंह में जा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि राष्ट्रीय निश्शुल्क डायलिसिस कार्यक्रम के तहत दुर्ग, कांकेर, कोरबा, बिलासपुर, महासमुंद, बीजापुर जिला अस्पतालों में वर्ष 2020 में डायलिसिस केंद्र की शुरुआत की गई।

जशपुर और सरगुजा में केंद्र का शुभारंभ हाल ही में हुआ है। सभी जिलों के केंद्रों में अब तक कुल 12,933 डायलिसिस सेशन किए हैं। दुर्ग जिले में 3499, कांकेर में 2606, कोरबा में 1793, बिलासपुर में 1864, महासमुंद में 2370, बीजापुर में 776, सरगुजा में 14 और जशपुर में 11 सेशन से मरीजों को निश्शुल्क लाभ मिला है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों ने बताया कि मरीजों की समस्याओं को देखते हुए सभी जिलों में डायलिसिस सेवा जल्द शुरू करने की तैयारी है।

डीकेएस अस्पताल में बढ़े किडनी के मरीज

डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रफुल्ल दावले ने बताया कि अस्पताल में हर दिन औसत 100 लोगों की डायलिसिस की जाती है। यहां प्रत्येक जिलों से मरीज पहुंच रहे हैं। वहीं, विभाग की ओपीडी में हर दिन औसत 40 मरीज किडनी की समस्या लेकर आ रहे हैं।

क्या है डायलिसिस

जब किसी व्यक्ति की किडनी ठीक ढंग से काम करना बंद कर देती है, तो इसे वापस काम में लाने के लिए डायलिसिस किया जाता है। डायलिसिस की प्रक्रिया से शरीर में मौजूद वेस्ट नमक के साथ-साथ अधिक पानी को भी निकाल लिया जाता है। किडनी की बीमारी से पीड़ित ऐसे मरीज जिनकी किडनी 50 फीसद से अधिक खराब हो जाती है, उनकी डायलिसिस की जाती है। डायलिसिस प्रक्रिया स्थिति के अनुसार प्रत्येक सप्ताह की जाती है।

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