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80 वर्षीय बूढ़ी आँखों को नींद नहीं, परिवार पालने सुबह 3 से 4 बजे चाय दुकान सजाने में जुट जाती

कोंडागांव। अक्सर देखने मे यह आता है की वृद्ध अन्यन्त / अधवा वृद्धा जन परिवार द्वारा उपेक्षित होने पर सड़को में भीख मांगते हुए नजर आते हैं लेकिन कभी कभी कुछ वृद्धा ऐसे काम करते हुए नजर आ जाते हैं जिनके सामने समाज को नतमस्तक हो जाना पड़ता है। इस कुछ कोंडागांव में भी विगत कई वर्षो से देखने को मिल रहा है, जिसमे एक 80 वर्षीय महिला पूरे आत्मसमान के साथ लोगो को चाय पिलाकर अपना व अपने परिवार का जीवन यापन करने में जुटी हैं।

शांति शर्मा

दो वक्त की रोटी की जुगत में एक 80 वर्षीय महिला पिछले तीन दशकों से चाय बेचकर अपने परिवार का पालन कर रही है इससे पहले उसके पति व बेटी चाय बेचा करते थे लेकिन उन दोनों की मौत के बाद अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी इन बढ़ी हाथों में आ गई। अब इन बूढ़ी आँखों को नींद नहीं आती, परिवार पालने के किए कभी सुबह 3 बजे तो कभी 4 बजे चाय की दुकान सजाने में जुट जाती हैं।
80 वर्षीय बुजुर्ग महिला शांति शर्मा ने बताया कि नेपाल के रहने वाले हैं और बचपन मे शादी हो गई थी और शादी के बाद हिंदुस्तान के छत्तीसगढ़ में आ गए। मेरे पति दूध बेचने के साथ ही चाय की दुकान, बस स्टैंड में लगाया करते थे ।

राह ताकती आँखे

और मेरे पति की 28 वर्ष पहले मौत होने के बाद परिवार की जिमेदारी मेरे कंधों पर आ गई। तब से मैं चाय बेच कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हू। 80 वर्षीय बुजुर्ग महिला शांति शर्मा ने बताया कि मेरी 4 बेटी ओर एक बेटा हैं। तीन बेटियों की शादी नेपाल में और एक बेटी की शादी कोंडागांव में हुई हैं। वहीं मेरे बेटे की शादी भी हो चुकी है और उसके दो बेटी हैं में उन्ही के साथ रहती हूं मेरा बेटे की कमाई पूरी नहीं पड़ती इस लिए में भी परिवार चलने में अपनी और से यथा संभव मदद करती हूं।
वही विश्व महिला दिवस के बारे में पूछे जाने पर बुजुर्ग महिला शांति ने बताया कि क्या होता है महिला दिवस इस बारे में आप से पहली बार सुना है।

Patrika Look

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