दूसरों को प्राणवायु पहुंचानेवाले रेलकर्मियों की भी टूट रही हैं सांसें, कोरोना से अब तक 20 की मौत, 450 संक्रमित
देश भर में जीवनरक्षक ऑक्सीजन टैंकर को मंजिल पर पहुंचा कर लाखों लोगों का जीवन बचाने और हजारों प्रवासी मजदूरों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभानेवाले रेलकर्मी खुद कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं. रेल अस्पताल में समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं होने पर चिकित्सक उन्हें दूसरे अस्पताल में रेफर कर रहे हैं. वहीं दूसरे अस्पताल में बेड खाली नहीं होने पर उनकी स्थिति और दयनीय हो जा रही है.
रांची रेल डिवीजन में अब तक 20 रेलकर्मियों की मौत कोरोना संक्रमण से हो चुकी है. इनमें स्टेशन मास्टर, गार्ड, लोको पायलट, ऑपरेटिंग विभाग के कर्मी शामिल हैं. जानकारी के अनुसार, रांची रेल डिवीजन में 450 से अधिक रेलकर्मी वर्तमान में कोरोना से संक्रमित हैं. सभी की उम्र 40 से 55 वर्ष के बीच है.
रेलवे से यह मिलता है सहयोग :
रेल कर्मियों को रेल मंत्रालय के नियम के अनुसार, रेलकर्मी के निधन होने पर अंत्येष्टि के लिए करीब आठ से दस हजार रुपये, बीमा, ग्रेच्युटी सहित अन्य सुविधाओं के अलावा परिवार के एक सदस्य को चतुर्थवर्गीय कर्मी के पद पर नौकरी दी जाती है.