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छत्तीसगढ़ में 10 जून तक पहुंच जाएंगे मानसूनी बादल

रायपुर. कोरोना काल की दिक्कतों के बीच मौसम विभाग ने किसानों को एक राहत भरी खबर दी है। बताया गया कि इस बार मानसून 10 जून को छत्तीसगढ़ पहुंच जाएगा। अगर सब सामान्य रहा तो मानसूनी बादल 21 जून तक पूरे प्रदेश को ढक चुके होंगे। मानसून के समय से आने से खेती संबंधी कामों में तेजी आएगी।

रायपुर मौसम विज्ञान केंद्र के विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया, “सामान्य तौर पर एक जून को केरल के तट पर मानसून पहुंच जाता है। भारत मौसम विभाग ने इस बार इसे एक दिन पहले यानी 31 मई तक केरल तट से टकराने की संभावना जताई है। अगर परिस्थितियां सामान्य रहीं तो मानसून के बादल 10 जून को जगदलपुर पहुंच जाएंगे। 15 जून तक यह रायपुर के ऊपर होंगे और 21 जून तक अम्बिकापुर पहुंचने की संभावना है।” एचपी चंद्रा ने कहा, इस बार मानसून के सामान्य रहने की संभावना जताई गई है। इसमें 96 प्रतिशत तक बरसात हो सकती है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. संकेत ठाकुर कहते हैं, छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए समय से मानसून का आना और सामान्य रहना बड़ी राहत है। यहां खरीफ के फसलों का बड़ा रकबा बरसात पर ही निर्भर है। एक फसली इलाकों में यह बरसात अच्छी फसल की उम्मीद बढ़ाएगा। लेकिन अप्रैल-मई में हो रही बरसात ने किसानों का खर्च बढ़ा दिया है। इसी महीने में किसानों ने अकरस जुताई कराई थी। इस गहरी जुताई से खर-पतवारों का नियंत्रण होता है। बरसात हो जाने से मिट्‌टी पूरी तरह सूख नहीं पाई। नमी लौट आई है। ऐसे में खरपतवार पूरी तरह नहीं जाएगी। अब किसानों को खरपतवार को नियंत्रित करने का खर्च भी बढ़ेगा।

35 लाख हेक्टेयर में केवल धान

छत्तीसगढ़ में 57 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में खेती होती है। पिछले साल धान का रकबा 35 लाख हेक्टेयर से अधिक था। 27 लाख 61 हजार 871 हेक्टेयर रकबे का तो किसानों ने समितियों में पंजीयन कराया था। यह वह खेती थी जिसकी फसल सरकारी खरीद केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की दर से बेची जानी थी। कृषि विभाग के अफसरों का अनुमान है कि इस बार खरीफ की फसल की बोनी बढ़ेगी। जिसमें बड़ा हिस्सा धान की फसल का होगा।

अभी स्थानीय सिस्टम की सक्रियता से बारिश

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में पिछले 15-20 दिनों से छिटपुट बरसात जारी है। मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा का कहना है कि यह स्थानीय परिस्थितियों की वजह से है। चक्रवाती हवाओं और द्रोणिका बनने से अचानक बादल आते हैं और कहीं-कहीं बरसात कर निकल जाते हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून के बादल देर तक बने रहते हैं। मानसून सामान्य रहा तो बरसात देर तक होती है।

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