छत्तीसगढ़

अज्ञात कारणों से जला मकान, दो वर्ष के बच्चे के साथ पेड़ के नीचे गुजर बसर करता कमार परिवार

गरियाबंद। राज्य शासन द्वारा विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति कमार परिवार के लिए विशेष योजना चलाकर उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए नए नए योजनाए लागू कर कमार विकास अभिकरण को करोड़ो रूपये का आबंटन दे रही है । लेकिन धरातल पर देखा जाए तो ये योजनाए उन तक पहुच नही पा रही या केवल फाइल में ही उन योजनाओं को चलाकर विभागीय अधिकारी अपना फर्ज निभा रहे है जिससे वे जाती के लोग निरीह होकर अपना जीवन यापन करने मजबूर है ।

ऐसा ही एक परिवार गरियाबंद ब्लाक के ग्राम दर्रीपारा में झाड़ के नीचे पंद्रह दिनों से अपने दो वर्ष के बच्चे को लेकर जीवनबसर करते आ रहे है । ज्ञात हो कि गरियाबंद जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर ग्राम दर्रीपारा पंचायत के अंतर्गत वर्षों से निवासरत कमार परिवार जिसमे चैतराम कमार उसकी पत्नी समारी बाई और उनके दो वर्ष का बच्चा जिस मकान में निवास करते थे वो मकान पिछले पंद्रह दिनों पहले अज्ञात कारणों से जल गया । उसके बाद वे परिवार एक झाड़ के नीचे प्रश्रय लिए और उसी के नीचे अपना गुजर बसर कर रहे है । वही उनका न राशन कार्ड है न ही उनको प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ ही मिला है ।

जिसके चलते आज वे बेघर होकर अपना जीवन यापन लकड़ी बेचकर कर रहे है ,वही जिस दिन उनका लकड़ी बिक जाता है उस दिन उनके घर मे खुशियां रहती है और लकड़ी न बिकने पर भगवान भरोसे रहते है । जबकि महिला अभी वर्तमान में गर्भ से भी है ऐसे समय मे उनका देखभाल जरूरी है इस समय वो महिला के पास खाने और रहने के लाले है । हालांकि समय समय पर पंचायत द्वारा उन्हें गुजर बसर करने चावल दिया जाता है ,। लेकिन चावल के अलावा भी लोगो को और भी दैनिक उपयोग के सामान की जरूरत पड़ती है ।

ऐसे समय के कमार जाती के संरक्षण के लिए बनाया गया विभाग कहा चला जाता है , जो उनके विकास की बात कहते है । वही दर्रीपारा के सरपंच प्रतिनिधि शंकर नेताम से पूछे जाने उन्होंने बताया कि समय समय पर चावल दिया जाता है , और एक सप्ताह के अंदर उस परिवार को अस्थाई मकान रहने के लिए दिया जाएगा ।

कता है

Patrika Look

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