क्या एक साथ हो सकता है कोरोना और ब्लैक फंगल इंफेक्शन, यहां जानें हर सवाल का जवाब
नयी दिल्ली : कोरोनावायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर से पूरा देश त्रस्त है. भारत संक्रमण के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर आ गया है. अभी दुनिया भर में भारत कोरोना का हॉट स्पॉट बन गया है. इस बीच कई राज्यों से ब्लैक फंगस इंफेक्शन की खबरों ने सबको सकते में डाल दिया है. कोरोना से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगल इंफेक्शन (Black Fungal Infection) से लोगों की मौत तक हो जा रही है. कई मामलों में मरीजों की आंखें तक निकालने की नौबत आ रही है. इस वायरस ने न केवल लाखों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, बल्कि भारत की स्वास्थ्य सेवा को भारी दबाव में डाल दिया है.
कोरोनावायरस का कहर जारी है. इसके साथ ही हर दिन नयी चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. इसी बीच म्यूकोरमाइकोसिस, जिसे ब्लैक फंगस संक्रमण के रूप में भी जाना जाता है, लोगों की जान ले रहा है. कई मामलों से इसे कोरोना से भी जोड़ कर देखा जा रहा है. जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन कोई नया मामला नहीं है. मधुमेह के रोगियों में यह पहले भी देखा गया है.
मेडिसिन नेट की एक रिपोर्ट के हवाले से इंडिया डॉट कॉम में ने लिखा है कि कोविड-19 के साथ-साथ ब्लैक फंगल संक्रमण भी हो सकता है. खासकर उन लोगों में जिनके मामले इतने गंभीर हैं कि उन्हें आईसीयू में रखा गया है और जिन्हें मधुमेह या एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियां हैं. कोरोना के साथ-साथ इस फंगस के संक्रमण से खतरा काफी बढ़ जाता है और कुछ मामलों में यह घातक भी साबित होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मामलों में ब्लैक फंगस का संक्रमण, कोरोना से ठीक होने के बाद होता है. भारत में ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आए हैं. इस फंगल इंफेक्शन को होने से रोकने के लिए दुनिया भर के चिकित्सा विशेषज्ञ पुरी कोशिश कर रहे हैं. प्रारंभिक पहचान और उपचार इस संक्रमण को ठीक करने में मदद कर सकते हैं. कुछ खास बातों का ध्यान रखकर इससे बचा भी जा सकता है.
इन लक्षणों पर ध्यान दें
- बुखार
- ठंड लगना
- नाक बहना
- सरदर्द
- सांस लेने में कठिनाई
फंगल संक्रमण के प्रकार जो कोरोना के साथ हो सकते हैं
मेडिकल नेट के अनुसार, दो सबसे आम फंगल संक्रमण एस्परगिलोसिस और इनवेसिव कैंडिडिआसिस हैं. अन्य में म्यूकोरमाइकोसिस और हिस्टोप्लाज्मोसिस और कैंडिडा ऑरिस संक्रमण शामिल हैं. किसी भी फंगल संक्रमण का मुख्य कारण उस हवा में सांस लेना होता है, जिस हवा में ये फंगस मौजूद होते हैं.
- एस्परगिलोसिस : एस्परगिलोसिस इस जीनस के कवक के कारण होने वाला एक फेफड़े का रोग है, विशेष रूप से ए. फ्यूमिगेटस, जो व्यापक रूप से पौधों और मिट्टी में पाया जाता है.
- इनवेसिव कैंडिडिआसिस : यह फंगल इंफेक्शन कैंडिडा ऑरिस के कारण होता है. इनवेसिव कैंडिडा संक्रमण के सबसे आम लक्षण बुखार और ठंड लगना है. इससे रक्त प्रवाह में संक्रमण और यहां तक कि मौत का कारण भी हो सकता है.
- म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस : यह फंगल संक्रमण म्यूकोर्मिकोसिस नामक मोल्डों के समूह के कारण होता है. ये मोल्ड पूरे वातावरण में रहते हैं. म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करता है जिन्हें स्वास्थ्य समस्याएं हैं या जो वैसी दवाएं ले रहे हैं जो शरीर की रोगाणुओं और बीमारी से लड़ने की क्षमता को कम करती हैं.