छत्तीसगढ़

लाॅक डाउन में जमीन विवाद को लेकर ग्रामीण पहुंचे कलेक्टोरेट आवेदन देने

कोंडागांव । जिले में ठीक लाॅकडाउन के दौरान दो गांव के बीच प्रारम्भ हुए जमीन विवाद के मामले को लेकर ग्रामीणजनों के कलेक्टोरेट पहुंचकर आवेदन देने तथा दिए गए आवेदन की पावती नहीं मिलने से ग्रामीणजनों के इस बात को लेकर परेशान होने कि बिना पावती के भविष्य में सम्बन्धित अधिकारी से कार्यवाही हुई या नहीं के सम्बन्ध में कैसे दावा करेंगे का मामला सामने आया है। प्रकाश में आए मामले के अनुसार जिले के तहसील कोण्डागांव के ग्राम पंचायत भीरागांव और तहसील माकडी के ग्राम पंचायत तमरावण्ड के ग्रामीणजनों के बीच उक्त जमीन सम्बन्धी विवाद प्रारम्भ हुआ बताया जा रहा है। कुल 39 आवेदक ग्रामीणजनों में शामिल एवं उनका प्रतिनिधित्व करते हुए आवेदन देने कोण्डागांव पहुंचे जयप्रकाश नेताम, मोहन मरकाम, बजरंग मरकाम ने प्रेस को जानकारी देते बताया कि आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग के कोण्डागांव जिले के विकासखण्ड माकड़ी की सीमा पर विकासखण्ड मुख्यालय माकड़ी से 12 किमी दुर ग्राम पंचायत तमरावण्ड के आश्रित वनगाम खुटबेड़ा की बसाहट है। ग्राम तमरावण्ड 70-80 वर्ष पूर्व बसा हुआ गांव है और ग्राम के निवासियों को वन विभाग द्वारा वनाधिकार पट्टा प्रदाय किया गया है। लेकिन आज भी काफी लोग वनाधिकार पट्टा प्राप्त करने से वंचित हैं। वन विभाग द्वारा वर्ष 2007 में वन परिसीमा क्षेत्र (बिट क्षेत्र) का निर्धारण किया गया। ग्रा.पं.तमरावण्ड की वन भूमि वनपरिसीमा क्षेत्र के निर्धारण से ग्राम पंचायत भीरागांव, उमरगांव, करण्डी, देवगांव, तोरण्डी तथा बेलगांव की सीमाओं के अन्दर चली गयी है, जिस वजह से उक्त गांव के निवासी ग्रा.पं.तमरावण्ड के किसानों की भूमि पर जबरन कब्जा करने का प्रयास कर रहें है, जिस कारण विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है एवं इस समस्या का जल्द ही निराकरण नहीं किया गया तो निकट भविष्य में कोई भी बड़ी अप्रिय घटना घट सकती। आश्रित ग्राम खुटबेड़ा के किसान वन भूमि कक्ष कमांक-545 पर वर्ष 1980 के पूर्व से जंगल की सफाई कर कृषि कार्य करते आ रहे हैं, जिसके अलावा ग्राम खुटबेड़ा के उपरोक्त ग्रामीणों के पास अन्य कोई कृषि भूमि नहीं है जिस पर वे कृषि कार्य कर अपना व अपने परिवार का पालन पोषण कर सके। लगभग 40 वर्षों से अधिक समय से उक्त भूमि पर कब्जा होने से उनका व उनके परिवार की आस्था उक्त भूमि से जुड़ चुकी है। वर्ष 2015 में वन विभाग द्वारा ग्राम खुटबेड़ावासियों के द्वारा काबिज भूमि पर जबरन पौधारोपण किए जाने का प्रयास किया जा रहा था, तब खुटबेड़ावासियों ने तात्कालिक जिलाधीश को उक्त संबंध में आवेदन देकर पौधारोपण कार्य रोककर वनाधिकार प्रपत्र प्रदाय किए जाने की मांग करते हुए लेख किया था कि पौधारोपण कार्य नहीं रोक पाने की स्थिति में खुटबेड़ावासियों को दुसरे राज्य में जीवनयापन करने जाने हेतु लिखित अनुमति दिया जाए। तब तात्कालीन जिलाधीश द्वारा तत्काल पौधारोपण कार्य पर रोक लगााकर वनाधिकार प्रपत्र प्रदाय किये जाने हेतु कार्यवाही किये जाने का मौखिक आस्वाशन दिया गया था। उक्त घटना के बाद अब वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा ग्राम भीरागांव के ग्रामीणों को ग्राम खुटबेडा के ग्रामीणों द्वारा काबिज भुमि पर जबरन कब्जा करने हेतु उकसाया गया है, जिससे दोनों गांवों के बीच कृषि कार्य प्रारम्भ होने के पूर्व विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है और वन विभाग के कर्मचारियों के उकसावे में आकर ग्राम भीरागांववासियों द्वारा ग्राम खुटबेड़ावासियों की काबिज भूमि पर जबरन ट्रेक्टर के माध्यम से जुताई कराया गया है, जिससे दोनों ग्रामों के मध्य विवाद की स्थिति निर्मित हो चुकी है एवं यहां कभी भी अप्रिय घटना घटित हो सकती है। आवेदक ग्रामीणों ने कहा है कि जमीन विवाद को लेकर अप्रिय घटना घटित हो सकने जैसे गंभीर मामला जिसको कि कलेक्टर जैसे जिला अधिकारी के संज्ञान में तत्काल लाना जरुरी समझते हुए, लेकिन लाॅकडाउन के कारण सभी 39 किसान कोण्डागांव न आकर उन सभी का प्रतिनिधित्व करते हुए गांव से हम तीन किसान ही जिला कार्यालय पहुंचे थे लेकिन न ही हमें कलेक्टर से मिलने दिया गया और न ही हमारे द्वारा जिला कार्यालय में प्रस्तुत आवेदन की कोई पावती ही दी गई, जिससे हम सभी असमंजष की स्थिति में हैं कि क्या हमारा दिया आवेदन कलेक्टर के सामने पहुंचेगा और हमारी षिकायत पर तत्काल कोई कार्यवाही होगी ? कहीं कार्यवाही होने के पहले ही कोई बढ़ी और अप्रिय घटना घटित न हो जाए। वैसे ग्रामीणजनों के द्वारा डाक के माध्यम से अपना आवेदन महामहिम राज्यपाल, मुख्य मंत्री छ.ग. शासन, बस्तर कमिष्नर को भी प्रेशित कर दिया गया है।

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