रायपुर. छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस के संक्रमण से मौत का सिलसिला शुरू हो चुका है। शुक्रवार को रायपुर में इलाज करा रही दो महिलाओं ने दम तोड़ दिया। दोनों को कोरोना को हराने के बाद ब्लैक फंगस की चपेट में आ गई थीं। इधर सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि आज इसे महामारियों की सूची में शामिल करने की अधिसूचना जारी हो सकती है।
रायपुर एम्स में इलाज करा रही एक 70 वर्षीय महिला की शुक्रवार को मौत हो गई। वे ब्लैक फंगस के संक्रमण से पीड़ित थीं। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले सर्जरी करके उनकी आंख और मस्तिष्क के फंगस प्रभावित टिश्यू निकाले गए थे। उनका इलाज जारी था, लेकिन जटिलताओं की वजह से उनको बचाया नहीं जा सका। भिलाई की एक महिला ने रायपुर के ही एक निजी अस्पताल में दम तोड़ दिया है। करीब 56 साल की इस महिला को कोरोना के बाद सांस संबंधी दिक्कतों की वजह से रायपुर में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद वे ठीक हो रही थीं, तभी उनमें ब्लैक फंगस के लक्षण दिखे। इलाज के दौरान महिला ने दम तोड़ दिया। प्रदेश में अब तक पांच से छह मरीज ब्लैक फंगस की वजह से मर चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया, “महामारी की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया चल रही है। इसपर विधि विभाग का अभिमत मांगा गया था। वह मिलते ही अधिसूचना जारी हो जाएगी।” सिंहदेव ने स्पष्ट किया कि “यह महामारी कोरोना जैसी महामारी नहीं है। यह इंसान से इंसान में नहीं फैलती।”
प्रदेश में अभी ब्लैक फंगस के 102 मरीज
छत्तीसगढ़ में शुक्रवार शाम तक की स्थिति में ब्लैक फंगस के 102 मरीजों का इलाज जारी था। इनमें से 78 मरीज तो रायपुर एम्स में ही भर्ती हैं। रायपुर और दुर्ग जिले को सबसे अधिक प्रभावित बताया जा रहा है। दुर्ग जिले मेंे 23 मरीजों की पहचान हुई है। प्रदेश में ब्लैक फंगस से मौत का पहला मामला भी दुर्ग के भिलाई में ही आया था। मृतकों में दुर्ग, महासमुंद और कोरिया जिलों के मरीज बताए जा रहे हैं।
रायपुर CMHO ने बनाई सर्विलेंस सेल
इधर रायपुर CMHO स्तर पर एक जिला स्तरीय सर्विलेंस सेल बनाई गई है। इसमें 12 डॉक्टरों को शामिल किया गया है। शुक्रवार को इन डॉक्टरों को प्रशिक्षण दिया गया। इस सेल ने जिले के 1600 ऐसे लोगों की सूची बनाई है, जिन्हें कोरोना के इलाज के दौरान लंबे समय तक ICU में रहना पड़ा था। सेल के डॉक्टर एक तय प्रश्नावली के हिसाब से इन लोगों को फोन कर फीडबैक लेंगे। अगर उनमें से किसी मरीज में ब्लैक फंगस के लक्षण की संभावना दिखे तो उन्हें अस्पताल बुलाकर जांच करने की व्यवस्था करनी है। इस सूची में आगे भी लोग जुड़ते रहेंगे।