Vaccine के बाद क्यूं जमते हैं खून के थक्के? जर्मन वैज्ञानिकों ने ढूंढी वजह, इलाज भी बताया
कोविड-19 के वैक्सीन बनने के बाद से ही दुनिया के कई देशों में टीका देने के बाद लोगों में खून के थक्के जमने की शिकायतें आने लगी थीं। खास तौर पर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लेने वालों में खून के थक्के जमने के मामले मिले थे। लेकिन इसकी वजह का पता नहीं चल पा रहा था। अब जर्मनी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने ना सिर्फ खून के थक्के (Blood Clotting) जमने की वजह का पता लगा लिया है, बल्कि इसका इलाज भी ढूंढ लिया है।
क्यों जमते हैं खून के थक्के?
जर्मनी के गोइथे यूनिवर्सिटी और उल्म यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि ये समस्या एडिनोवायरस वेक्टर (Blood Clotting After Injection) की वजह से है। वैज्ञानिकों ने कहा कि वैक्सीन जिस तरह शरीर में प्रवेश करती है, उसी के कारण थक्के जमते हैं। यह सामान्य कोल्ड वायरस है, जिसके जरिए वैक्सीन शरीर में प्रवेश करती हैं। उन्होंने बताया कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन से इसलिए ये समस्या हो रही है क्योंकि यह एडिनोवायरस वेक्टर वैक्सीन है। यानी इसमें नए वायरस के जेनेटिक मैटीरियल का इस्तेमाल हुआ है और इसे एडिनोवायरस के जीन्स के साथ मिलाकर विकसित किया गया है।
दरअसल कोल्ड वायरस को मॉडिफाई किया जाता है, ताकि वह किसी को बीमार ना बनाए। फिर वैक्सीन को शरीर की कोशिकाओं के केंद्र में भेजा जाता है, जहां जेनेटिक मैटीरियल बनता है। इसके कोशिकाओं में पहुंचते ही स्पाइक प्रोटीन का हिस्सा टूट जाता है और अपना म्यूटेंट वर्जन तैयार करता है। यही खून के थक्के जमाने के लिए जिम्मेदार है। डॉक्टरों के मुतााबिक दूसरी डोज के बाद ऐसे मामले ज्यादा सामने आए हैं। इसका उपाय ये है कि वैक्सीन में जेनेटिकली बदलाव किया जाए, ताकि शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने पर स्पाइक प्रोटीन टूटे नहीं। अगर वो टूटेगा नहीं, तो खून के थक्के भी नहीं बनेंगे।
वैसे, रूस की स्पूतनिक वी वैक्सीन भी इसी तरह से काम करती है लेकिन उसे लेने के बाद खून के थक्के वाले मामले नहीं मिले हैं। आपको बता दें कि ब्रिटेन में 3.3 करोड़ लोगों को एस्ट्राजेनेका का टीका दिया गया था, जिनमें से 309 मामले में खून के थक्के जमने की समस्या दिखी थी। इनमें से 56 लोगों की मौत भी हो गई। वहीं जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन लेने वाले 1.04 करोड़ लोगों में से 28 में खून के थक्के जमने की समस्या की जानकारी मिली थी। ये समस्या खास तौर पर 50 साल से कम उम्र की महिलाओं में ज्यादा पाई गई थी।