घुसपैठियों को वापस भेजने की मिशन में मोदी सरकार विफल, चीन की घुसपैठ भारतीय सीमा में अवांछनीय -रविंद्र चौबे
किसानों की समस्या हल करने में मोदी सरकार के वादे खोखले साबित हुए, किसान आंदोलन इसका सबसे बड़ा प्रमाण
रायपुर। देश में एक ओर जहां भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल के सात वर्ष पूर्ण होने पर उनकी उपलब्धियां गिनाते हुए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस उनके सात वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लिये गये संकल्प पत्र के प्रमुख वादों की असलियत उजागर करते हुए अब तक लिये गये निर्णयों से देश और जनता को हुई परेशानियां गिना रहे है।
राजीव भवन में आज कृषि मंत्री रवीन्द्र चौबे, वन एवं परिवहन मंत्री मो. अकबर, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, नगरीय प्रशासन एवं श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, सांस्कृतिक एवं खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने संयुक्त रूप से प्रेसवार्ता ली। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्प पत्र के प्रमुख वादों की असलियत उजागर करते हुए कहा कि राष्ट्र सर्वप्रथमÓ के शीर्षक के तहत किए गए वादों में सबसे प्रमुख घुसपैठियों की समस्या का समाधान है। इस समस्या के समाधान के लिए मोदी सरकार ने सिजिजऩशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) भी लागू किया, लेकिन सच यह है कि यूपीए सरकार ने 2005 से 2013 के बीच 82,728 बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजा वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में दो हजार से भी कम बांग्लादेशियों को वापस भेजा गया। तो घुसपैठियों को वापस भेजने के वादे का क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि घुसपैठ रोकना यदि मोदी सरकार की प्राथमिकता थी तो कैसे चीन भारत की सीमा में घुसपैठ करके बैठ गया और ख़ुद प्रधानमंत्री संसद में गलत जानकारियां देते रहे। आज भी मोदी सरकार यह बताने में विफल है कि कैसे चीन अरुणाचल प्रदेश में घुसकर निर्माण कार्य कर रहा है। सैटेलाइट के चित्र सब दिखा रहे हैं लेकिन मोदी सरकार मानने को तैयार नहीं है। वे चीन को लाल लाल आंखें दिखाना चाहते थे लेकिन चीनी नेताओं के साथ झूला झूलते रह गए।
मंत्री श्री चौबे ने कृषि और किसानों के हितों को लेकर कहा कि कृषि और किसान कल्याणÓ के वादों में श्री मोदी और भाजपा वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना चाहते थे लेकिन सच यह है कि उनकी नीतियों की वजह से देश का किसान और गरीब होता जा रहा है। नतीजा यह है कि लाखों किसान पिछले छह महीनों से दिल्ली की सीमा में ठंड, गर्मी और बरसात झेलते धरने पर बैठे हैं।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार की तुलना में मोदी सरकार ने फसलों का समर्थन मूल्य भी बहुत कम बढ़ाया है, उल्टे खाद और कीटनाशक दवाओं की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। उन्होंने कहा कि अभी विपक्षी दलों के दबाव में खाद की कीमत घटाई लेकिन सब्सिडी देकर खाद कंपनियों को मालामाल करने का इंतजाम कर दिया है।
अर्थव्यवस्था को लेकर मंत्रियों ने कहा कि ‘अर्थव्यवस्थाÓ को लेकर जो वादे भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए हैं वे सब उल्टे साबित हुए हैं। सच यह है कि नरेंद्र मोदी की अर्थनीति से देश में पहली बार जीडीपी माइनस 23.9 प्रतिशत तक चली गई और डॉलर के मुकाबले डॉलर अपने सर्वोच्च स्तर पर है वे ‘पांच ट्रिलियन की अर्थव्यवस्थाÓ का जुमला फेंक रहे थे और उन्हें एक ट्रिलियन में कितने शून्य होते हैं यह तक पता नहीं था। वे मेक इन इंडिया की बात कर रहे थे और सच यह है कि पहली बार भारत को दवाएं तक बांग्लादेश जैसे छोटे देश से मंगानी पड़ गईं। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन विदेश से आया और वेंटिलेटर के लिए हम बड़े देशों के दान पर निर्भर होकर रह गए।
चौबे ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता था पर आज हालत यह है कि भारत के लोगों के लिए भारत में कोरोना वैक्सीन नहीं बन पा रही है और विदेशी कंपनियों की ओर मुंह ताकना पड़ रहा है।
मोदी की स्मार्ट योजना हुई धराशाई
मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि ‘नए भारत की बुनियादÓ की बात करने वाले नरेंद्र मोदी जी की स्मार्ट सिटी योजना धराशाई हो रही है। रेलवे, हवाई अड्डे और बंदरगाह तक सब कुछ अडानी और अंबानी के हाथों बेचे जा रहे हैं और सार्वजनिक क्षेत्र की हर इकाई बिकाउ हो गई है।
उन्होंने कहा कि ‘स्वस्थ भारतÓ की बात करने वाली भाजपा को आज इस बात पर शर्मिंदा होना चाहिए कि उनके नेता नरेंद्र मोदी के कुप्रबंधन की वजह से आज भारत कोरोना की सबसे बुरी मार झेल रहा है। कोरोना को लेकर हमारे नेता राहुल गांधी चेतावनी दे रहे थे लेकिन नरेंद्र मोदी नमस्ते ट्रंप कर रहे थे और अमित शाह मध्यप्रदेश की चुनी हुई कांग्रेस सरकार को गिराने में लगे हुए थे। फिर अचानक लॉक डाउन लगाकर करोड़ों प्रवासी मज़ूदूरों को बच्चों और बुज़ुर्गों के साथ सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचने के लिए बाध्य किया। दूसरा दौर शुरु हुआ तो न मरीजों को अस्पताल मिल रहा है, न ऑक्सीजन और न दवाएं. जो जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी जी को अपने कंधे पर उठाना था वह उन्होंने राज्यों के सिर पर धकेल दिया।
भ्रष्टाचार को लेकर मंत्री श्री चौबे ने कहा कि सच यह है कि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का अभूतपूर्व केंद्रीयकरण हुआ है और जवाबदेही शून्य हो गई है। यह तो अब उजागर तथ्य है कि राफेल युदधक विमानों की खरीद में कैसे कैसे भ्रष्टाचार हुए हैं। सब जानते हैं कि ‘पीएम केयर्स फंडÓ में हजारों करोड़ जमा हुए और क्यों उसका हिसाब देने के लिए नरेंद्र मोदी तैयार नहीं हैं। हर जिले में भाजपा के आलीशान कार्यालय कैसे खुले यह भी जनता देख रही है।
मंत्रियों ने कहा कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने जो बड़े वादे किए थे उनमें से एक भी पूरे नहीं हुए. चाहे वह ‘अच्छे दिनÓ की बात हो, कालाधन वापस लाकर ‘सभी के खातों में 15-15 लाखÓ देने की बात हो या फिर हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात हो। अच्छे दिन और हर व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख देने की बात को तो भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह ने ही ‘चुनावी जुमलाÓ कह दिया था। वर्ष 2019 का जो संकल्प पत्र पेश करते हुए नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि ‘सबका साथ सबका विकास का मंत्र भारत के कोने कोने तक गूंजा हैÓ लेकिन सच यह है कि इन्हीं नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में धर्म और संप्रदाय के नाम पर समाज को टुकड़ों टुकड़ों में बांट दिया गया और इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम ने उन्हें यानी ‘भारत का प्रमुख विभाजनकारीÓ का तमगा दिया था।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अमित शाह ने 2014 से 2019 तक के कार्यकाल के ऐतिहासिक और आमूलचूल बदलाव लाने वाले कार्यों में ‘नोटबंदीÓ, ‘जीएसटीÓ और ‘सर्जिकल स्ट्राइकÓ का जिक्र किया है। देश का हर नागरिक जानता है कि नोटबंदी और जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था का कैसा बंठाधार किया है जिस सर्जिकल स्ट्राइक की वे वाहवाही लूटना चाहते हैं वह भारत मनमोहन सिंह के नेतृत्व में न जाने कितनी बार खामोशी से कर चुका था. अमित शाह जी आज तक यह नहीं बता पाए हैं कि जिस पुलवामा हमले के बाद उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक की थी, वह पुलवामा का हमला किसने और कैसे किया? किसने षडयंत्र रचा? कुल मिलाकर बीते सात साल स्वतंत्र भारत के इतिहास में काले अध्यायों के सात साल साबित हुए हैं।
मोदी सरकार हर वैश्विक इंडेक्स में लुड़कती गई
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि दुनिया भर के देशों के लिए अलग अलग अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं आंकड़े जारी करती हैं और बताती हैं कि दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में किसी देश की क्या स्थिति है। इन आंकड़ों को दुनिया भर की संस्थाएं स्वीकार करती हैं और इसे एक सूचकांक की तरह देखती हैं कि देश में लोगों की हैसियत या स्थिति कैसी है। सच यह है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से भारत की स्थिति लगातार खऱाब होती गई है और अब स्थित यह है कि कई मामलों में एक छोटा पड़ोसी देश बांग्लादेश भी भारत से बहुत अच्छी स्थिति में पहुंच गया है। उन्होंने विभिन्न विषयों पर भारत की स्थिति का आंकड़ा भी प्रस्तुत किया।
ऽ ग्लोबल हंगर इंडेक्स यानी भुखमरी के इंडेक्स में भारत लगातार पिछड़ रहा है. 2016 में हम 97वें स्थान पर थे और 2019 में हम पिछड़कर 102 वें स्थान पर पहुंच गए। मानव विकास इंडेक्स में हम लगातार 131 वें स्थान पर बने हुए हैं. यानी नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में इसमें कोई सुधार नहीं हुआ है। वल्र्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के आंकड़े बताते हैं कि भारत दुनिया भर के देशों में लगातार पिछड़ रहा है. यानी भारत में मीडिया की स्वतंत्रता लगातार कम हो रही है। करप्शन परसेप्शन इंडेक्स यानी भ्रष्टाचार पर लोगों की सोच के आधार पर जो इंडेक्स तैयार होता है, उसके आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार को लेकर लोगों के बीच यह धारणा बढ़ती जा रही है कि मोदी सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है इसीलिए वह इंडेक्स में पिछड़ता जा रहा है। मानव स्वतंत्रता इंडेक्स में भारत लगातार एक ही स्थान पर दिख रहा है. इसका अर्थ यह है कि जैसे जैसे नरेंद्र मोदी जी का कार्यकाल बढ़ रहा है भारत में मानव स्वतंत्रता की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। किसी भी देश की ख़ुशहाली का सूचकांक यह बताता है कि देश की जनता के पास ख़ुश होने के कितने मौक़े हैं और देश की सरकार इसके लिए कितने प्रयास कर रही है। इस सूचकांक पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2016 के बाद से लोगों के ख़ुश होने के मौके लगातार घटे हैं और आज भारत 118 वीं पायदान से नीचे गिरकर 144 वीं पायदान पर पहुंच गया है।