दुर्ग। डीएपी की कीमत बढ़कर 1900 रुपये हो गई थी,लेकिन केंद्र सरकार ने सबसिडी बढ़ाकर पुनः कीमत 1200 रुपये प्रति बोरी निर्धारित कर दी। इसके बाद भी दुर्ग जिले की 59 समितियों में डीएपी की कीमतों को लेकर किसानों और समिति के कर्मचारियों के बीच रोजना विवाद हो रहा है।
दरअसल समितियों में डीएपी का पुराना स्टाक रखा है,जिसे किसानों को 1800 रुपये प्रति बोरी की दर से बेचा जा रहा है। वहीं किसानों का कहना है कि सरकार ने खाद की कीमत कम दी है ऐसे में उनसे अधिक कीमत क्यों ली जा रही है? किसान खाद की खरीदी करने से भी कतराने लगे हैं।
जिले में खरीफ सीजन के लिए खेती-किसानी का काम अप्रैल महीने से शुरू हो जाता है। कृषि कार्य के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की सहकारी समितियों से खाद-बीज का अग्रिम उठाव अप्रैल महीने से शुरू हो जाता है। अग्रिम उठाव के बीच केंद्र सरकार ने डीएपी खाद की कीमत बढ़ा दी। लेकिन विरोध के बाद सरकार ने सबसिडी बढ़ाकर पुनः कीमत 1200 रुपये प्रति बोरी निर्धारित कर दी।
वहीं किसानों ने समितियों से खाद की खरीदी शुरू कर दी। लेकिन जिले की सहकारी समितियों में खाद का पुराना स्टाक रखा हुआ है जिसे किसानों को 1800 रुपये प्रति बोरी की दर से बेचा जा रहा है। इसे लेकर समितियों में किसानों और कर्मचारियों को बीच रोजाना विवाद हो रहा है।
किसान 12 सौ रुपये में खाद की खरीदी को लेकर समिति के कर्मचारियों के पर दबाव भी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। स्थिति को देखते हुए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक प्रबंधन द्वारा समितियों को निर्देश जारी किया गया है कि खाद की खरीदी जिस कीमत पर की गई है उसी कीमत पर ही बेची जाए।
कम कीमत में बेचने पर नुकसान की भरपाई संबंधित समिति अथवा कर्मचारी को करना पड़ेगा क्योंकि नई दर पर खाद की बिक्री को लेकर मार्कफेड से किसी तरह का आदेश जारी नहीं किया गया है।
जिले में खाद का पुराना स्टाक
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले की समितियों में डीएपी खाद का पुराना स्टाक रखा हुआ है। जिसमें से किसान 2714 टन खाद की खरीदी कर चुके हैं।
वहीं 1380 टन खाद का स्टाक पड़ा हुआ है। किसानों को वर्तमान में यही खाद बेचा जा रहा है जिसकी कीमत 1800 रुपये प्रति बोरी है। डीएपी खाद की नई स्टाक जिले को नहीं मिली है। नई स्टाक मिलने पर ही उसे 1200 रुपये प्रति बोरी की दर से बेचा जाएगा।
1200 रुपये में नहीं बेच सकते
केंद्र ने डीएपी खाद की कीमत बढ़ाने के बाद उसे वापस ले लिया लेकिन जिले में खाद की स्टार पुरानी होने के कारण उसे 1200 रुपये में नहीं बेच सकते। पुरानी खाद की कीमत 1800 रुपये प्रति बोरी है। इस संबंध में मार्कफेड द्वारा दिशा निर्देश मांगा गया था।
मार्कफेड ने नई दर पर बिक्री के संबंध में आदेश जारी नहीं किया है। इस कारण पुराने स्टाक को पुराना खरीदी दर पर ही बेचा जा रहा है। कीमतों को लेकर समितियों में रोजाना विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। मार्कफेड ने यदि पुराने स्टाक को नई दर पर बेचने की अनुमित दी तो जिन किसानों ने 1800 रुपये की दर से खाद की खरीदी की है उनकी राशि का समायोजन कर दिया जाएगा।
-पंकज सोढ़ी सीईओ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक दुर्ग
10 बोरी खरीदी है डीएपी
ग्राम मटंग निवासी अमित हिरवानी ने बताया कि उन्होंने पाटन ब्लाक के सांतरा समिति से 10 बोरी डीएपी खाद 1850 रुपये प्रति बोरी की दर से खरीदी है। उन्होंने बताया कि उसके एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने डीएपी खाद की बढ़ी कीमत वापस लेने की जानकारी टविटर कर दी थी।
इससे समिति प्रबंधक को अवगत भी कराया लेकिन उन्होंने कम कीमत पर खाद देने से मना कर दिया। अमित ने बताया कि इस समिति में शामिल मानिकचौरी और फुंडा गांव के कई किसानों ने भी 1850 रुपये की दर से डीएपी खरीदी है।