नई दिल्ली : गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए पैसे को विदेशी बैंकों में जमा करने वाला भारत का पुराना प्रचलन है, जिसे आम तौर पर कालाधन कहते हैं. 2014 में जबसे केंद्र में मोदी सरकार का गठन हुआ उसके पहले से ही देश में कालाधन वापसी के कई दावे किए गए. भारत में मोदी सरकार के गठन के बाद से विदेशी बैंकों में जमा कालाधन कितने वापस हुए इसका तो खैर कोई ठिकाना नहीं, लेकिन कोरोना महामारी की शुरुआत यानी 2020 में स्विस बैंक में 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा हुई है, इसकी रिपोर्ट तो जरूर है. आलम यह कि अकेले 2020 में स्विस बैंकों में कालाधन जमा कराने के बीते 13 साल का रिकॉर्ड टूट गया.
सरकारी समाचार एजेंसी पीटीआई की एक खबर के अनुसार, स्विस बैंकों में भारतीयों का पर्सनल और कंपनियों का पैसा 2020 में बढ़कर 2.55 अरब स्विस फ्रैंक यानी 20,700 करोड़ रुपये से अधिक पर पहुंच गया है. यह बढ़ोतरी नकदी डिपॉजिट के तौर पर नहीं, बल्कि प्रतिभूतियों, बॉन्ड समेत अन्य वित्तीय उत्पादों के जरिये रखी गई होल्डिंग से हुई है. हालांकि, इस दौरान ग्राहकों की जमा राशि कम हुई है.