सड़कों पर दिखे मवेशी तो सीधे आयुक्त और सीएमओ होंगे जिम्मेदार
रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने सड़कों पर छुट्टा (खुला) घूमने वाले मवेशियों पर लगाम कसने के लिए कमर कस ली है। ऐसे मवेशियों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों पर और शहरी क्षेत्रों में सड़क हादसों का खतरा बना रहता है। इसे देखते हुए सरकार इस वर्ष भी एक जुलाई से रोका-छेका अभियान शुरू करने जा रही है।
योजना का असर दिखे इसके लिए सीधे बड़े अफसरों की जिम्मेदारी तय कर दी गई है। शहरी क्षेत्रों में संबंधित नगरीय निकाय के आयुक्त और मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) को इसके लिए जिम्मेदारी दी गई है। यानी लापरवाही पर सरकार सीधे इन्हीं पर कार्रवाई करेगी।
शहरी क्षेत्रों में रोक-छेका अभियान को सफल बनाने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी निकायों के प्रमुखों को विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किया है। विभाग के उप सचिव एचआर दुबे के अनुसार आयुक्त और मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि कोई भी मवेशी निकाय की सड़कों व सार्वजनिक स्थानों पर खुले में घुमते हुए नहीं पाए जाएं।
ऐसे पशुओं को काउ कैचर के माध्यम से गोठान में भेजा जाए। पशु मालिकों से नियमानुसार शुल्क व जुर्माना का भुगतान करने के बाद ही पशु को लौटाया जाए। शहरी क्षेत्रों में छुट्टा घूमने वाले मवेशियों पर नकेल कसने के लिए हर वार्ड में प्रभारी नियुक्त करने के लिए भी कहा गया है।
साथ ही एक जुलाई से पहले वार्डों का सर्वेक्षण कर वहां निवासरत पशु पालकों के नाम और पशुओं की जानकारी एकत्र करने के लिए भी कहा गया है। नगरीय प्रशासन विभाग से जारी आदेश में निगम प्रमुखों से यह भी कहा गया है कि रोका-छेका अभियान राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अत: निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें।
पशुपालकों से लिए जाएंगे संकल्प पत्र
शहरी क्षेत्रों में पशुपालन करने वालों से हस्ताक्षरयुक्त संकल्प पत्र भी लिया जाएगा। इसमें उनसे यह लिखवाया जाएगा कि वे अपने पशुओं को खुला नहीं छोड़ेंगे। संकल्पपत्र के साथ पशुओं का रिकार्ड भी वार्ड कार्यालयों में रखा जाएगा।