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मोदी कैबिनेट के विस्तार का मुहूर्त तय:नए मंत्री 7 जुलाई यानी बुधवार को शाम 5:30 से 6:30 बजे के बीच शपथ लेंगे

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7 जुलाई यानी बुधवार को अपनी कैबिनेट का विस्तार करेंगे। लगभग हर बड़ा काम शुभ मुहूर्त पर करने वाली मोदी सरकार ने नए मंत्रियों को शपथ दिलाने का भी मुहूर्त तय कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक, मंत्री शाम 5:30 से 6:30 बजे के बीच शपथ लेंगे। इस दौरान सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इसमें किया गया कोई भी काम सफल होता है।

सरकार के सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कैबिनेट के लिए दलित, आदिवासी, OBC वर्ग के और पिछड़े क्षेत्रों के करीब 24 जमीनी नेताओं को चुना है। काफी संशोधन और सोच विचार के बाद नए मंत्रियों के नाम तय हुए हैं।

मोदी सरकार के लिए ये विस्तार अभी बेहद जरूरी है। संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है और नए मंत्रियों को अपने मंत्रालयों में घुलने-मिलने के लिए वक्त चाहिए होगा। इसके अलावा इस कैबिनेट एक्सपेंशन की और भी वजह हैं…

पहली वजह: गवर्नेंस की क्वालिटी सुधारना
कोरोना की दूसरी लहर में केंद्र सरकार के मिस मैनेजमेंट की हर ओर आलोचना हुई। गवर्नेंस में क्वालिटी की कमी नजर आई। स्मार्ट सिटी हो या फिर कैशलेस इकोनॉमी, मोदी का कोई भी पसंदीदा प्रोजेक्ट ट्रैक पर नहीं है। मोदी को टॉप लेवल पर ज्यादा काबिलियत वाली टीम की जरूरत है।

दूसरी वजह: जनता की निराशा दूर करना
इकोनॉमी में ऐसी गिरावट कभी नहीं आई, जैसी अभी है। इसके अलावा पेट्रोल-डीजल के दामों पर जनता के गुस्से को शांत करना जरूरी है। रोजगार के मौके कम हो रहे हैं और खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ते जा रहे हैं, इससे भी लोग निराश हैं। ऐसे में दिशाहीन हो चुकी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार के भीतर उच्च स्तर पर बेहद ज्यादा क्षमता की जरूरत होगी।

तीसरी वजह: जातीय और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के साथ काबिलियत में संतुलन
मोदी को कैबिनेट में जातीय और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के साथ काबिल मंत्रियों का संतुलन बैठाना है। कैबिनेट में फील गुड फैक्टर को बढ़ाने के लिए भी नए चेहरों को शामिल करना जरूरी हो गया है।

चौथी वजह: राज्यों में पार्टी और नेताओं का मनोबल ऊंचा करना
2014 से मोदी सरकार ने कई जीत और हार का सामना किया। हाल में बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भाजपा और समर्थकों के उत्साह पर बुरा असर पड़ा है। अगर सांसदों में से काबिल लोगों को कैबिनेट में शामिल किया जाता है तो जिस राज्य से मंत्री शामिल किए गए हैं, वहां पार्टी और उसके नेताओं का मनोबल बढ़ेगा।

पांचवीं वजह: मोदी और भाजपा की ताकत बढ़ेगी
पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में अभी सियासी खींचतान चल रही। क्षेत्रीय और जातीय गणित के आधार पर नेताओं को कैबिनेट में शामिल कर सत्ता का मौका देने से प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा की राजनीतिक ताकत बढ़ेगी।

थावरचंद के गवर्नर बनने से 5 पद खाली हुए
विस्तार के लिए मोदी सरकार ने पहले ही पासा फेंक दिया है। मंत्रियों की शपथ से एक दिन पहले ही 8 राज्यपालों की नियुक्ति कर कैबिनेट विस्तार का रास्ता खोल दिया। कैबिनेट मिनिस्टर थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने से ही मंत्रिमंडल में 5 पोस्ट खाली हो गईं।

थावरचंद सोशल जस्टिस मिनिस्टर थे, राज्यसभा सदस्य थे और इसी सदन में भाजपा के लीडर भी थे। इसके अलावा वे भाजपा की सबसे ताकतवर संसदीय समिति और केंद्रीय चुनाव समिति के भी सदस्य थे। संवैधानिक पद पर भेजे जाने के बाद उन्हें ये सभी पद छोड़ने पड़ेंगे।

भाजपा संसदीय बोर्ड में थावरचंद की जगह कौन लेगा?
अब ये देखना दिलचस्प होगा कि संसदीय बोर्ड में थावरचंद की जगह कौन लेता है। सुषमा स्वराज के निधन के बाद एक महिला के लिए भी जगह खाली है। अब मोदी सरकार को संसदीय बोर्ड में एक दलित और एक महिला चेहरा चुनना है। गहलोत का 3 साल का राज्यसभा का कार्यकाल बाकी है। इससे भी मोदी को कैबिनेट में ऐसा नया चेहरा शामिल करने में मदद मिलेगी, जो किसी भी सदन का सदस्य न हो।

भाजपा के पास 2 राज्यसभा सीटों का कोटा है। इनमें से एक सीट असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को दिए जाने के आसार हैं। उनका मोदी कैबिनेट में शामिल होना तय हो चुका है। पॉन्डिचेरी से भी भाजपा की एक सीट राज्यसभा में है।

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