छत्तीसगढ़

असली पुलिस की फिल्मी कहानी: शहरी कल्चर में फंसकर नशे की गिरफ्त में आ रहे गांव के युवा, देखिए ASP की ‘देसी क्राइम’ शॉर्ट फिल्म VIDEO

गरियाबंद। एएसपी सुखनंदन राठौड़ और एडीएम जे.आर. चौरसिया की भूमिका वाली शॉट फिल्म ‘देसी क्राइम’ को 18 घंटे में केवल यूट्यूब में 17 हजार लोगों ने देखा है. ग्रामीण अंचल में नशे की गिरफ्त में आ रहे युवाओं को सामाजिक मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रमुख फिल्मकार भूपेंद्र साहू के ‘आरम्भ’ फिल्म्स बैनर तले बनाया गया है.

गरियाबंद जिले के अधिकतर लोगों के मोबाइल में इन दिनों ‘देशी क्राइम ‘भाग-1 को चलते देखा जा सकता है. मया दे दे मया ले ले जैसे सुपर डुपर हिट फिल्म के निर्माता भूपेंद्र साहू ने इस शॉट फ़िल्म को बनाया है. 10 मिनट की इस शॉट फ़िल्म का फिल्मांकन बारुका ग्राम और कलेक्टोरेट परिसर में किया गया है. फिल्म की खासियत यह है कि मंजे हुए फ़िल्म कलाकार के अलावा जिले के एडिशनल एसपी सुखनंदन राठौड़ पूरी फिल्म में शुरू से लेकर अंत तक लीड रोल में नजर में आ रहे हैं. भटके युवाओं को प्रमोट करते एडिशनल कलेक्टर जे.आर चौरसिया भी स्क्रीन पर नजर आ रहे हैं.

शॉर्ट फिल्म में असली पुलिस निभा रही भूमिका

पुलिस की वर्दी में दिखने वाले सारे कलाकार असली पुलिस ही है. शॉर्ट फिल्म को शनिवार 11 बजे रिलीज किया गया. जैसे ही फ़िल्म वायरल हुआ, पता चला कि जिले में सामाजिक सरोकार के काम में सक्रिय रहने वाले अफसर भी फ़िल्म में रोल निभा रहे है, तो रिलीज होने के 18 घंटे बाद केवल यूट्यूब पर 17 हजार लोगों ने देखा है. इस फिल्म के पटकथा और सवांद की काफी सराहना भी की है.

नशे के आगोश में न समा जाए युवा, इसकी चिंता में बनाई फिल्म

यह फ़िल्म गांव देहात में नशे की लत में समा रहे युवाओं को सामाजिक मुख्यधारा से जोड़ने वाली है. एक गरीब परिवार के इकलौता बेटा किस तरह गांजा और मेडिकल में मिलने वाले सिरप को लेकर नशा करता है और अपराध की दुनिया मे घुस जाता है. उसे जेल जाने की चिंता नहीं होती, तो बेबस बाप को भी बेटे के जिंदा रहने या मरने से कुछ फर्क नहीं पड़ता. पुलिस की समझाइश को मान कर कैसे भटके युवक की जिंदगी बदल जाती है. इस पर मार्मिक प्रस्तुति देखने वालों के आंखे नम कर रहा है.

शहरी कल्चर में समा रहा देहात का युवा

फिल्म निर्माता भूपेंद्र साहू इसी जिले के बारुका के रहने वाले है. भूपेंद्र साहू ने कहा कि शहरों में फैली नशे की मकड़ जाल अब गांव में दस्तक देना शुरू कर दिया है. इसके दुःपरिणाम से अनजान देहात का युवा शहरी कल्चर के इस छलावे में समाता जा रहा है. ऐसे भटके युवाओं की आंखे दलदल में समाने से पहले खुल जाए. इसी उद्देश्य से इस शॉट फ़िल्म ‘देसी क्राइम’ का निर्माण किया गया है. उन्होंने कहा कि देशी क्राइम में इसी तरह के मुद्दे उठाकर आने वाले समय लगातार इसकी सीरीज बनाई जाएगी. जिले में मिल रहे लोगों के प्यार के लिए जिलेवासियों का आभार जताया है.

Patrika Look

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *