छानबीन समिति बताए, हमारी जाति आदिवासी नहीं तो क्या है: अमित जोगी
बिलासपुर । जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी ने उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हम तो आदिवासी हैं। समिति अगर हमें आदिवासी नहीं मान रही है तो उनको बताना होगा कि हमारी जाति क्या है। हम मंगल ग्रह से तो आए नहीं हंै। इससे पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने मेरे पिताजी स्व. अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कराया था। उसे कोर्ट ने बहाल किया और अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारे पर छानबीन समिति ने मेरा और पत्नी ऋचा का अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया है। हाई कोर्ट से हमें न्याय मिलेगा। न्यायालय के आदेश पर हमें पूरा भरोसा है। जकांछ प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी मरवाही सदन में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। गौरतलब है कि राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की बहू व जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी को गैर आदिवासी माना है।
लेमरू हाथी रिजर्व प्रोजेक्ट में एरिया में कटौती, उठाए सवाल
अमित जोगी ने कहा कि कोरबा से सरगुजा तक फैले जंगलों में 180 गांव की लगभग 3827.64 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 400 हाथियों के लिए प्रोजेक्ट बनाने की योजना थी। अमित ने आरोप लगाते हुए कहा कि 26 जून 2021 को शासकीय अवकाश के दिन अपर सचिव केपी राजपूत ने प्रधान मुख्य वनसंरक्षक को आदेश जारी कर मंत्रिपरिषद के पूर्व निर्णय 27 अगस्त 2019 के अनुसार 1995.48 वर्ग किलोमीटर से कम करके 450 वर्ग किलोमीटर करने कहा। इसके लिए उन्होंने तीन दिन की समय सीमा भी तय कर दी थी।
अपर सचिव के आदेश का मतलब साफ है कि पूर्व के प्रविधान से हटकर 80 प्रतिशत रिजर्व में कटौती का प्रस्ताव वन विभाग को सौंपने का दबाव बनाया गया। पूर्व की योजना के अनुसार चार हजार वर्ग किमी क्षेत्र में 400 हाथियों को बसाने की तैयारी थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इसे 450 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया। राज्य सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि जनता की भावना और आठ विधायकों की मांग थी।
जबकि जनता की तरफ से हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति इसका विरोध कर रही है। आठ में से पांच विधायक का क्षेत्र लेमरूमें आता ही नहीं है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण विधायक और मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी इसका विरोध किया है और ऐसी किसी भी मांग से इन्कार किया है। अमित ने सवाल उठाते हुए कहा कि 27 अगस्त 2019 को मंत्रियों की बैठक में लेमरू हाथी रिजर्व के क्षेत्र पर निर्णय हो गया और 94 करोड़ रुपये निर्माण कार्य में खर्च कर दिए गए है तो अचानक अवकाश के दिन 26 जून 2021 को तीन दिन के भीतर आवश्यक कार्रवाई के लिए क्यों निर्देशित किया गया। लेमरू हाथी रिजर्व फारेस्ट एरिया की जमीन कम करने के मामले में जरूरत पड़ी तो न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात उन्होंने कही है।
राहुल गांधी के वादों की दिलाई याद
जकांछ प्रदेशाध्यक्ष जोगी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के कुदमुरा और मदनपुर की जन चौपाल में लेमरू में कोयला खदान नहीं खोलने का ग्रामीणों को वचन दिया था। हाथी रिजर्व फारेस्ट एरिया की जमीन में कटौती करने के राज्य शासन के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
लड़ेंगे सड़क की लड़ाई
एक सवाल के जवाब में अमित ने कहा कि जल्द ही प्रदेशवासियों के मुद्दे को लेकर सड़क की लड़ाई लड़ेंगे। बढ़ती महंगाई, शराबबंदी, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग के अलावा धान का समर्थन मूल्य 2,500 स्र्पये प्रति क्विंटल एकमुश्त किसानों के बैंक खाते में जमा करने की मांग जैसे प्रमुख मुद्दों को लेकर जकांछ सड़क पर नजर आएगी।