छत्तीसगढ़

साध्वियों का मंगल प्रवेश, जैन समाज में बहेगी धर्म गंगा

रायपुर: साध्वियां चार महीने श्री ज्ञान वल्लभ उपाश्रय में रहेंगी और समाज को धर्म की राह दिखाएंगी। चातुर्मास के लिए ‘बस्तर प्रहरी’ साध्वी राजेश श्रीजी म.सा. आदि ठाणा-6 के विवेकानंद नगर में मंगल प्रवेश के दौरान जिन शासन के जयकारों के बीच समाज ने उत्साह के साथ उनका स्वागत किया। मंगल प्रवेश के लिए सुबह नौ बजे सदर बाजार जैन मंदिर से धर्म ध्वजाओं की अगुवाई में प्रवेश यात्रा निकाली गई। साध्वियां कोतवाली चौक, बैरनबाजार होते हुए विवेकानंद नगर पहुंचीं।

इस दौरान समाजजनों ने जगह-जगह गवली रखकर उनका अभिनंदन किया। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पुखराज मुणोत ने चातुर्मास का लाभ देने के लिए साध्वियों का आभार माना। जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाज विवेकानंद नगर के अध्यक्ष श्यामसुंदर बैदमुथा ने कहा, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमें साध्वीवृंदों के चातुर्मास का लाभ मिला है।

कैवल्यधाम तीर्थ के महासचिव सुपारसंचद गोलछा ने गुरु भगवंतों और दादा गुरुदेवों को नमन करते हुए समाज को चातुर्मास की शुभकामनाएं दी। विचक्षण जैन विद्यापीठ के महासचिव प्रकाशचंद मालू ने भी साध्वियों के प्रति अपने भाव प्रकट किए। मंच का संचालन महेंद्र सराफ ने किया।

23 से प्रवचन

चातुर्मास समिति के प्रचार प्रसार प्रभारी चंद्रप्रकाश ललवानी ने बताया कि चातुर्मास 23 जुलाई से शुरू हो रहा है। इसके तहत प्रतिदिन साध्वियों के प्रवचन सुबह 8.45 बजे से होंगे। प्रतिक्रमण, स्वाध्याय के साथ विविध अनुष्ठान भी किए जाएंगे। सारे कार्यक्रम कोरोना से बचाव के लिए शासन द्वारा लागू नियमों का पालन करते हुए संपन्न किए जाएंगे।

जागरण का संदेश लेकर आया है चातुर्मास: साध्वी रम्यकगुणाश्रीजी

साध्वी रम्यकगुणा श्रीजी ने कहा कि चातुर्मास हमारे लिए जागरण का संदेश लेकर आया है। इन चार महीनों में हमें अपने अंदर झांककर अपने आप को जानने का प्रयास करना है। हम ज्यादा से ज्यादा पुरुषार्थ करें और अपनी इंदियों पर विजय पाने का प्रयास करें। तभी हम जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। साध्वी हंसकीर्ति श्रीजी ने कहा कि इस चातुर्मास हमें गोरस यानी ज्ञान रूपी दूध, आस्था रूपी दही और चारित्र्य रूपी घी का पान करना है। संसार के मेले से बचना है क्योंकि सबसे बड़ा झमेला है। इसमें फंसे रहे तो जन्म-मरण से कभी मुक्ति नहीं पाएंगे। 84 लाख जीव योनी में भटकते ही रहेंगे। संसार के मोह में न पड़ें।

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