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तुंहर सरकार, तुंहर द्वार शिविर में निगम ने फूंके 61 लाख रुपये

रायपुर शहर में आम जनता की समस्याओं के निराकरण करने के लिए रायपुर नगर निगम के 70 वार्डों में 31 जनवरी से एक अप्रैल 2021 तक तुंहर सरकार, तुंहर द्वार अभियान के तहत शिविर लगाया गया। इस शिविर में नगर निगम ने टेंट, खाने-पीने और कलाकारों की पारिश्रमिक को मिलाकर कुल 61 लाख 35 हजार 335 रुपये खर्च किए हैं।

35 दिन तक चले इन शिविरों में वार्ड के लोगों की तरफ से 37 हजार तीन सौ से 23 आवेदन आए। इनमें 31 हजार 779 आवेदनों पर कार्रवाई कर जन समस्याओं का निराकरण करने का दावा निगम के अफसर और सत्तापक्ष के पार्षद कर रहे हैं, जबकि विपक्ष के भाजपा पार्षद दल ने शिविर को फिजूलखर्ची बताया है।

शुक्रवार को हुई सामान्य सभा की बैठक में तुंहर सरकार, तुंहर द्वार शिविर का मुद्दा जोर-शोर से गरमाया। भाजपा पार्षद दल ने शिविर के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन समस्याओं का निराकरण जोन स्तरीय कार्यालयों के माध्यम से किया जाना चाहिए था, उसे शिविर लगाकर फिजूलखर्ची की गई और परिणाम भी शून्य रहा। शिविर मेें मिले पांच हजार 774 आवेदनों का निराकरण अब तक नहीं किया गया है।

शिविर में केवल राशन कार्ड, मजदूर कार्ड, आधार कार्ड आदि से संबंधित अधिकांश आवेदनों का ही निराकरण किया गया। यह काम तो जोन स्तर पर चल ही रहा था, फिर शिविर लगाकर लाखों रुपये का खर्च करने के बजाय पैसे का इस्तेमाल वार्डों में विकास कार्य पर खर्च करना था।

भाजपा पार्षद मृत्युंजय दुबे ने सामान्य सभा में पूछा कि 35 दिनों तक चले तुंहर सरकार, तुंहर द्वार शिविर में कितने आवेदन आए, कितनों का निराकरण किया और कितने आवेदन शेष बचे और वार्डवासियों के मांग के अनुरूप विकास के लिए कितनी राशि स्वीकृत की गई। एमआइसी सदस्य ज्ञानेश शर्मा ने बताया कि पहली बार रायपुर नगर निगम ने अनूठी पहल शुरू कर शिविर लगाया।

शिवर आम जनता ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। शिविर में आए आवेदनों पर निगम की तरफ से सड़क, नाली आदि के निर्माण के लिए राज्य सरकार से 24 करोड़ 62 लाख रुपये मांगे गए हैं, जबकि सभी दस जोन में साढ़े-साढ़े सत्रह लाख रुपये के विकास कार्य स्वीकृत किए जा चुके हैं। 70 वार्ड में एक करोड़ 75 लाख रुपये के विकास कार्य किए जाएंगे। इस शिविर की सफलता से प्रभावित होकर राज्य सरकार ने प्रदेश भर के सभी निगमों में इसे लागू किया है।

वर्जन

तुंहर सरकार, तुंहर द्वार शिविर के आयोजन में 61 लाख रुपये से अधिक फिजूलखर्ची कर महापौर और कांग्रेस के पार्षद अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। शिविर में मूल समस्याओं की शिकायतों का निराकरण नहीं किया गया। नालों की सफाई नहीं हो पाई। दो घंटे की बारिश में शहर जलमग्न हो जा रहा है। शहर विकास के एजेंडे सामान्य सभा से गायब है। स्मार्ट सिटी के काम को अपनी उपलब्धि बताकर सत्तापक्ष श्रेय लेना चाह रहा है। महापौर बताए कि शहर विकास के लिए राज्य सरकार से कितनी राशि ला पाए हैं।

मीनल चौबे, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम, रायपुर

वर्जन

दलगत राजनीति से उुपर उठकर रायपुर के विकास के लिए सभी मिलजुल कर काम करेंगे तो विश्वास दिलाता हूं कि विकास की गाथा लिखेंगे। रायपुर की तकदीर-तस्वीर बदलने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। समिति में सत्ता और विपक्ष के पार्षद होंगे।

Patrika Look

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