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शिक्षा ही नहीं, निराश्रित और अनाथ हुए बच्चों को अपनापन भी चाहिए

रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। Parents Died Of Corona: कोरोना से अनाथ या निराश्रित हुए बच्चों के मानसिक विकास के लिए सरकार को अभी कई महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। शिक्षा तो मूलभूत सुविधा है। इसके अलावा बच्चों को अपनापन महसूस कराने और उनको अभिभावकों की तरह संरक्षण दिलाने की जिम्मेदारी भी सरकार को उठानी चाहिए। यह कहना है विशेषज्ञों का। उनकी मानें तो इन बच्चों का मानसिक संतुलन बिगड़ने का खतरा है। बता दें कि कोरोना से अनाथ या निराश्रित हुए बच्चों के लिए सरकार केवल शिक्षा के लिए उपाय कर रही है, पर उन बच्चों के साथ भावानात्मक रूप से जुड़ने के लिए कोई विकल्प नहीं दिख रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इमरजेंसी एडॉप्शन सेंटर खोलना चाहिए। मनोचिकित्सकों की मदद से बच्चों की देखभाल कराने की जरूरत है। बालगृहों में भले ही बच्चों को रखा जा रहा है, लेकिन उनके लिए मनोचिकित्सक नहीं हैं। प्रदेश में छह हजार बच्चे अनाथ या निराश्रित हो चुके हैं। इसके तहत प्रदेश भर के 171 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 337 बच्चों का दाखिला हो गया है। रायपुर में 54 बच्चे इस योजना के तहत अंग्रेजी स्कूल में दाखिल हुए हैं। 32 बच्चों को बालगृह में रखा गया है।

कुछ संगठन आ चुके हैं आगे

प्रदेश में छत्तीसगढ़ सिक्ख संगठन की ओर से कोरोना के दौरान निराश्रित हुए बच्चों की मदद की जा रही है। वहीं छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने भी कोरोना से निराश्रित हुए बच्चों के लिए अपनी वेबसाइट पर पंजीयन कराया है। इसमें जो बच्चे सामने आ रहे हैं, उनकी निश्शुल्क पढ़ाई करवाई जा रही है।

वर्जन

केंद्र सरकार ने कोरोना से निराश्रित बच्चों के लिए जो भी योजनाएं बनाई हैं, वे राज्य सरकार के माध्यम से ही लागू होनी हैं, राज्य सरकार को इसमें सजगता से काम करना चाहिए। केंद्र की योजनाओं पर निगरानी रखकर बच्चों की मदद करूंगा।

हम बच्चों की मदद कर रहे हैं

सरकार और गैर सरकारी संगठनों की मदद से निराश्रित हुए बच्चों की हम लगातार मदद कर रहे हैं। इसमें सरकार पूरी तरह से सजग है, लोगों से अपील है कि वे इन बच्चों की मदद में अपनी अहम भूमिका निभाएं

एक्सपर्ट व्यू

शिक्षा बच्चों की मूलभूत आवश्यकता है। राज्य सरकार को आपातकालीन गोद लेने के लिए एक संस्था खोल देनी चाहिए। बच्चों के मानसिक विकास के लिए उनको अपनापन महसूस करने के लिए सहयोग की आवश्यकता होगी। सरकार चाहे तो इन बच्चों के लिए ऐसी संस्थाओं की स्थापना कर सकती है, जहां उनकी भावनात्मक आवश्यकताएं भी पूरी होनी चाहिए। मनोचिकित्सकों की मदद लेकर बच्चों को इन असहज परिस्थितियों से बाहर करना चाहिए।

Patrika Look

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