रायपुर के गोलबाजार की दुकानों का मालिकाना हक देने में लगेगा तीन महीने का समय
रायपुर। ऐतिहासिक गोलबाजार की 967 दुकानों को उनके दुकानदारों को मालिकाना हक देने का प्रस्ताव भले ही नगर निगम की सामान्य सभा में पास हो गया है, लेकिन दुकानदारों को उनके दुकानों की रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी करने में तीन महीने का इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल इसके लिए कलेक्टर गाइडलाइन का दर तय करने के साथ ही सर्वे का काम, पात्र दुकानदारों की सूची का प्रकाशन, दावा-आपत्ति, जनसुनवाई होनी अभी बाकी है। विपक्ष की आपत्ति के बाद इसकी मानिटरिंग के लिए एक कमेटी भी बनाने की घोषणा महापौर ने की है। लिहाजा यह सब प्रक्रिया पूरी करने में तीन महीने का समय लगने की संभावना है। निगम के अफसरों का कहना है कि इसके लिए समय सीमा तय नहीं है, लेकिन कोशिश की जा रही है कि जल्द प्रक्रिया पूरी कर ली जाए। राज्य सरकार ने एक रुपये के टोकन पर गोलबाजार की जमीन निगम को देने का फैसला पहले ही कर लिया था। सरकार से निगम को बाजार की जमीन मिलने के साथ ही इसे बेचने का अधिकार भी मिल गया है। कलेक्टर गाइडलाइन के हिसाब से दुकानों की साइज के अनुसार कीमत तय की जाएगी। इससे निगम में 169 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।
नौ साल पहले आया था प्रस्ताव नौ साल पहले तत्कालीन महापौर किरणमयी नायक के कार्यकाल में 17 जनवरी 2012 को एमआइसी की बैठक में गोलबाजार की दुकानों का मालिकाना हक दुकानदारों को देने का प्रस्ताव लाकर पारित किया गया था। सात फरवरी 2012 को सामान्य सभा की बैठक में सर्वसम्मति से इसे स्वीकृत कर शासन को भेजा गया था लेकिन किन्ही कारणों से भाजपा सरकार ने इसे मंजूर नहीं किया था। कांग्रेस सरकार ने हाल ही में कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी।
नहीं लगेगी बोली न होगा तोड़फोड़ एमआइसी सदस्य अजीत कुकरेजा ने कहा कि दुकानों को बेचने के लिए कोई बोली या निविदा नहीं निकाली जाएगी, जो व्यापारी काबिज है, उनके नाम पर ही दुकान की रजिस्ट्री तय दर पर की जाएगी। गोलबाजार के स्वरूप को नहीं बदला जाएगा, कोई नया निर्माण या तोड़फोड़ नहीं होगा। केवल वहां पर ड्रेनेज सिस्टम, शौचालय बनाने के साथ बिजली की प्रर्याप्त व्यवस्था की जाएगी।इनका कहना है रायपुर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि जवाहर बाजार की तरह ऐतिहासिक गोलबाजार को संवारा जाएगा। किसी किराएदार को मालिक बनाना अगर जुर्म है तो यह जुर्म हम सभी को करना चाहिए। हमारी नीति और नियत साफ है। रायपुर नगर निगम की यह पहल उदाहरण बनेगा। यहां की चिंगारी पूरे प्रदेश में आग बनेगी और अन्य निकायों में भी इस तरह की योजना लागू होने का रास्ता साफ होगा
नेता प्रतिपक्ष मिनल चौबे ने कहा कि गोलबाजार की दुकानों को बेचने का हम विरोध नहीं कर रहे है लेकिन कोरोना संकटकाल में आर्थिक संकट से गुजर रहे दुकानदारों को दुकान खरीदने कहा जा रहा है, यह कैसे संभव है। वास्तविक हकदारों को दुकान मिले। इसके लिए पार्षदों की कमेटी बनाकर उनकी निगरानी में दुकानों का आबंटन हो। नगर निगम रायपुर अपर आयुक्त पुलक भट्टाचार्य ने कहा कि सबसे पहले हर दुकान का सर्वे होगा। फिर कलेक्टर की ओर से संपत्ति अंतरण नियमावली के आधार पर यह तय किया जाएगा। सामान्य सभा ने 102 फीसद की दर से दुकान देने का प्रस्ताव पास किया है। इस पर अंतिम फैसला कलेक्टर ही लेंगे। संभवत: कमेटी का गठन कर सकते है, जिसमें रजिस्ट्रार, पंजीयक आदि होंगे