छत्तीसगढ़

शिक्षण संस्थानों को खोलने निर्णय स्वागतयोग्य, स्कूलों में रहे सावधानी

रायपुर।  प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर थमने और जनजीवन सामान्य होने के बाद सरकार का शिक्षण संस्थानों को खोलने निर्णय स्वागतयोग्य है, मगर इसके साथ ही स्कूल प्रबंधकों के समक्ष चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। देश केकई राज्यों, खासकर केरल और महाराष्ट्र में संक्रमण दोबारा फैलने की खबर आ रही है। तीसरी लहर की आशंका भी जताई जा रही है। महाराष्ट्र की सीमा तो छत्तीसगढ़ से भी लगती है और दोनों राज्यों के लोगों का प्रतिदिन बड़ी संख्या में आवागमन भी है। यह सर्वविदित है कि कोरोना संक्रमण का प्रसार एक-दूसरे केसंपर्क में आने से होता है। इधर स्कूल-कालेजों के खुलने केबाद छात्र-छात्राओं का एकत्रीकरण भी होगा। यह अलग बात है कि खोलने की अनुमति आधी क्षमता के साथ दी गई है। इसके बावजूद लंबे अंतराल के बाद मिलने वाले सहपाठी कोरोना दिशा निर्देशों का पालन करेंगे, इस पर संदेह है। स्कूलों में विद्यार्थियों के मास्क लगाने, थोड़े-थोड़े समय पर हाथ धोने और शारीरिक दूरी का पालन करने जैसी सावधानियों पर विशेष ध्यान देना होगा।

कोरोना महामारी के दौर में सर्वाधिक प्रभाव विद्यार्थियों पर पड़ा है। उनकी पूरी दिनचर्या घर की चौखट में कैद हो गई। संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए लाकडाउन लगाया गया था। सड़क, रेल और हवाई यातायात बंद रहे। बाग-बगीचे बंद थे। स्कूलों में अवकाश के बावजूद घर चहारदीवारी में ही रहना था यानी जीने की आवश्यकता को छोड़ दें तो शारीरिक गतिविधियां बंद थीं। मोबाइल फोन एकमात्र सहारा रहा। आनलाइन क्लास से शिक्षण कार्य किसी तरह चलाया गया। जिनके पास इंटरनेट और स्मार्ट मोबाइल फोन की सुविधा नहीं थी, वे इनसे से भीवंचित रहे। बच्चों ने कोरोना की दो-दो लहरों को झेला है। बिना परीक्षा के परिणाम और कक्षा उन्न्ति भी होते देखा। अब इन बच्चों के पास मुश्किल से स्कूल जाने का अवसर आया है। जाहिर है कि उनमें उत्साह है। लगभग सवा साल बाद मित्रों से मिलने का उल्लास है।

गुरुजनों से आशीष और संवाद का सुअवसर होगा। खुशियों और उमंगों के साथ जब बच्चे स्कूल-कालेज पहुंचेंगे तो भावनाओं पर नियंत्रण आसान नहीं होगा। इसको लेकर गुरुजन भी चिंतित हैं और स्वजन भी। यही कारण है कि प्रदेश भर केसभी स्कूलों केप्राचार्य एक दिन पहले ही स्वयं स्कूल पहुंचकर प्रबंधों की निगरानी कर रहे हैं। उनका प्रयास है कि स्कूलों में कोरोना के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित हो। हालांकि सरकार ने भी स्कूल-कालेजों के दरवाजे खोलने से पहले एहतियातन यह अच्छा कदम उठाया है कि सचिव स्तर से लेकर नीचे तक के 6,500 अधिकारियोंकी टीम को मैदान में उतार दिया है। वे एक सप्ताह तक शिक्षण संस्थानों में मार्गदर्शक नियमों की निगरानी करेंगे, ताकि स्कूलों में सावधानी बनी रहे। उम्मीद की जानी चाहिए कि सभी संयम और सावधानी से नियमों का पालन करेंगे और दोबार स्कूल बंद करने की नौबत नहीं आएगी।

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