छत्तीसगढ़राजनीति

बिजली दर में बढ़ोत्तरी कर भूपेश सरकार ने गरीबों को भी नहीं बक्शा : भाजपा

राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा बिजली के दाम महंगे किए जाने को लेकर जिले के भाजपा नेताओं ने सख्त एतराज जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 100 यूनिट की खपत करने वाले अति गरीब वर्ग को भी नहीं बक्शा हैं, उनकी बिजली भी महंगी कर दी है।

गरियाबंद। राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा बिजली के दाम महंगे किए जाने को लेकर जिले के भाजपा नेताओं ने सख्त एतराज जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस ने 100 यूनिट की खपत करने वाले अति गरीब वर्ग को भी नहीं बक्शा हैं, उनकी बिजली भी महंगी कर दी है। कोरोना के इस संकट काल में बिजली की वृद्घि से प्रदेश की जनता बुरी तरह परेशान और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है। कांग्रेस को यह बढ़ोत्तरी वापस लेना चाहिए। भाजपा जिला अध्यक्ष राजेश साहू, जिला महामंत्री अनिल चंद्राकर, जिला कोषाध्यक्ष राहुल सेन ने संयुक्त विज्ञप्ति जारी कर कहा कि बिजली बिल हाफ का वादा करके सत्ता पाने वाली कांग्रेस ने बिजली की दरें बढ़ाकर जनता के साथ धोखा किया है। कोरोनाकाल में जनता को राहत देने के बजाय राज्य सरकार ने बिजली की दरें 8 प्रतिशत बढ़ाकर जनता के साथ अन्याय किया है।

जानकारी के अनुसार नियामक आयोग ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए घरेलू बिजली की औसत दर 6.41 निर्धारित की है, जो पिछले वर्ष 5.93 प्रति यूनिट थी। यह दर अब पिछले साल की तुलना में 48 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा है। प्रदेश जब कोरोना महामारी से जूझ रहा है, तब जनता को राहत देने के बजाय प्रदेश सरकार गरीबों के जेब में डाका डालने पर उतारू है। कांग्रेस सरकार द्वारा बिजली दरों में बढ़ोतरी न केवल कोरोना काल में जनता की कमर तोड़ने वाला है, बल्कि यह प्रदेश की जनता ंके साथ किया जाने वाला एक और विश्वासघात है। सत्ता में आते ही अन्य सभी वादों की तरह सबके लिए बिजली बिल हाफ करने के वादे से पलटते हुए उसे मात्र घरेलू खपत तक, मात्र दो सौ यूनिट तक सीमित कर जनता से धोखा किया ही था, अब उससे भी आगे बढ़ते हुए अब बिजली की कीमत बढ़ा दी है। बिजली बिल हाफ़ का वादा करके सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार ने बिजली की औसत दरों में सीधे-सीधे 08 फ़ीसदी बढ़ोतरी कर दी है। इससे बड़ी धोखेबाी क्या हो सकती है, भाजपा शासन में बिजली सरप्लस वाला स्टेट देखते ही देखते अघोषित बिजली कटौती से परेशान है, इससे न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि हर वर्ग त्रस्त है। अब इस कटौती से सबसे गरीब पर सबसे अधिक मार पड़ रहा है।

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