अधिकारियों के लिए सूचना का अधिकार बना मजाक,नहीं देते जानकारी कही भष्ट्राचार उजागर ना हो जाये
कोंडागांव । शासकीय कार्यों में पारदर्शिता लाने सूचना का अधिकार अधिनियम तो बना है ,लेकिन जिले के जिम्मेदार जन सूचना अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदकों को समय सीमा में जानकारी उपलब्ध कराने से कतराते हैं , निर्धारित शुल्क सहित आवेदन जमा करने के बाद भी अधिकारियों द्वारा समय पर जानकारी उपलब्ध न कराने का खामियाजा आवेदकों को आर्थिक व मानसिक रूप से भुगतना पड़ रहा। वहीं आवेदक द्वारा जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध प्रथम अपीलीय अधिकारी के कार्यालय में अपील दायर करने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी भी मात्र आदेश पारित कर कागजी कार्यवाही तो करते हैं लेकिन आवेदक को जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाता, ऐसे में आवेदकों को थक हार कर राज्य सूचना आयोग के शरण में जाना मजबूरी है, इन तमाम अपीलीय प्रक्रियाओं में काफी विलंब होता है जिससे समय पर जानकारी ना मिलने से अपने उद्देश्य पूर्ति में आवेदक असफल हो रहे , फल स्वरूप सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत कार्यों में पारदर्शिता लाने सरकार का प्रयास जिम्मेदार अफसरों की उदासीनता के कारण जिले में असफल होता दिख रहा,
अवैध पेड़ कटाई को लेकर आवेदक पूनम दास मानिकपुरी ने काटे गए पेड़ों के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने दिनांक 29 दिसंबर 2020 को जन सूचना अधिकारी लोक निर्माण विभाग कोंडागांव को आवेदन देने के बाद जानकारी उपलब्ध न कराने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग के पास अपील करने पर दिनांक 5 अगस्त 2021को प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश पारित कर कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग कोंडागांव को आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी तीन दिवस के भीतर प्रदान करने निर्देशित किया था, लेकिन संबंधित अधिकारी ने आवेदक को निर्धारित समयावधि बीतने के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराया गया। जिससे आवेदक को राज्य सूचना आयोग कार्यालय जाने को मजबूर होना पड़ रहा। देखना होगा कि राज्य सूचना आयोग के निर्देश पर जिले के अधिकारी सूचना के अधिकार के तहत आने वाले आवेदनों पर समय सीमा के अंदर जानकारी उपलब्ध कराते हैं या आवेदकों को गुमराह करते पुराने ढर्रे पर ही कार्य संचालित होंगे। सूचना के अधिकार में पारदर्शिता लाने यह गंभीर सवाल है?