छत्तीसगढ़

मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान चार चरणों में 6 लाख 16 हजार 651 लोगों की हुई मलेरिया जांच


नारायणपुर। जिले के दुर्गम क्षेत्र और विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम नारायणपुर और ओरछा क्षेत्र के उबड़-खाबड़ रास्ते, नदी-नालों को पारकर वनाचंल गांव जहां आवागमन के साधन नहीं होने के कारण कई किलोमीटर तक दुर्गम मार्गों में पैदल चलकर गांवों के घरों एवं पैरामिलिट्री कैम्पों में पहुंचकर लोगों के मलेरिया की जांच की गयी है। बारिश के समय मे यह जांच और आवश्यक हो जाता है क्योंकि इसी समय मलेरिया के ज्यादातर मामले मिलते हैं। कोरोना संकट के समय में भी जिले के स्वास्थ्यकर्मी जिले को मलेरिया से मुक्त करने के काम मे पूरी लगन के साथ जुटें हुए थे। मलेरिया मुक्त अभियान के अन्तर्गत स्वास्थ्य विभाग जिला नारायणपुर द्वारा प्रथम चरण के सघन अभियान में जिले के 1 लाख 73 हजार 991 लोगों की मलेरिया जांच की गई, जांच में 11 हजार 551 महिला, पुरूष और बच्चे मलेरिया पॉजिटिव पाये गए, जिनका उपचार किया गया।

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दूसरे चरण के अभियान में 1 लाख 60 हजार 783 लोगों की मलेरिया जांच की गई, जिसमे से. 6 हजार 465 लोग पॉजिटिव पाये गए। वहीं तीसरे चरण के अभियान में 1 लाख 39 हजार 608 लोगों की मलेरिया जांच की गई, जिसमे से. 2 हजार 899 लोग पॉजिटिव पाये गए। इसी प्रकार चतुर्थ चरण के अभियान में 1 लाख 42 हजार 269 लोगों की मलेरिया जांच की गई, जिसमे 3 हजार 586 लोग पॉजिटिव पाये गए। चार चरणों को मिलाकर अब तक 6 लाख 16 हजार 651 लोगों की मलेरिया जांच की गयी, जिसमें 24 हजार 501 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाये गये ।
पूर्व में किये गये प्रयासों के कारण चौथे चरण में मलेरिया पॉजिटिव व्यक्तियों की संख्या में कमी आयी है। ज्ञातव्य हो कि नारायणपुर जिले को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने के उद्देश्य से मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की शुरूआत की गई है। राज्य शासन द्वारा बस्तर क्षेत्र के लोगों को मलेरिया, एनीमिया और कुपोषण से मुक्त करने के लिए चलाये जा रहे अभियान में जिले के स्वास्थ्य अमले सराहनीय कार्य कर रहे हैं। इस क्षेत्र में कुपोषण का एक बड़ा कारण मलेरिया है। मलेरिया संक्रमण से रक्त की कमी हो जाती है, जिससे एनीमिया की स्थिति निर्मित होती है। साथ ही मलेरिया के कारण हीमोलिसिस होने से प्रोटीन तथा शरीर के अन्य पोषक तत्वों का भी हा्रस होता है जो कुपोषण का कारण बनता है। अतः मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान न केवल मलेरिया से मुक्ति दिलायेगा परंतु एनीमिया, कुपोषण, शिशु एवं मातृ-मृत्यु दर में कमी लाने में कारगर सिद्ध हुआ है।

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