छत्तीसगढ़

थूक पॉलिश एक करोड़ से अधिक की राशि से बने वननिर्मित निर्माण कार्य में, मामला गोलावंड कन्या छात्रावास भवन का

कोंडागांव। एक ओर जहां कोंडागांव जिला विकास की ओर बढ़ता जा रहा हैं वही बढ़ते विकास में भष्ट्राचार भी अपना लगातार पैर पसार रहा है। फिर चाहे जिले नक्सली इलाका हो या मैदानी इलाकों में हर इलाके में लूट व भष्ट्राचार के करने वाले पहले से ही मुह खोले लार टपकते तैयार बैठे हैं? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्यों कि कोंडागांव जिला लगातार भष्ट्राचार के आयाम को छूता जा रहा है चाहे नये निर्माण कार्य हो , मरम्मत कार्य हो, सरकारी ऑफिस में सप्लाई कार्य हो, या स्कूली बच्चों को सप्लाई किया जाने वाला सूखा राशन हो, हर क्षेत्र में ठेकेदार व अधिकारी की मिलीभगत से ही कार्यो को अंजाम दिया जाने का अंदेशा होता हैं।

क्या है मामला
नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप के विधानसभा क्षेत्र में नवनिर्मित भवन गुणवत्ता हीन 50 सिटर प्री मैट्रिक कन्या छात्रावास गोलावंड का है पूर्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे ऑनलाइन शिलान्यास किया था और छात्रावास तैयार हो जाने के चंद महीनों ही नव निर्मित भवन की दीवालो में जगह-जगह दरारें आने लगी और पत्रिका लुक ने इसे प्रमुखता से खबर प्रकाशित करते हुए जिला प्रशासन का ध्यान केंद्रित किया था ।

गजब है आदिवासी विकास विभाग लोक सेवक का बयान

आपको बतादे की मीडिया के द्वारा जब आयुक्त आदिवासी विकास विभाग के संकल्प साहू लोक सेवक भी अजब गजब है। इन जिला लोक सेवक को अजब गजब इस लिए कहा जा रहा है क्योंकि ये अपनी आँखें बंद कर चार दीवारी में AC कमरे में बैठ कर ही पूरे निर्यण कर लेते है। उस क्षेत्र के जनप्रतिधि के द्वारा आरोप व मीडिया के द्वारा समाचार प्रकाशन भी हुआ कि छात्रावास के दीवारों में दरारे ही दरारे है, शायद जिला लोक सेवक को ठेकेदार के द्वारा भारी भरकम जेब गर्म कर दिया गया है तभी तो उन्हें दरारे नहीं दिखाई दी।

इंजीनियर का क्या कहना
आपको जानकर यह हैरानी होगी कि आदिवासी विभाग का ही इंजीनियर का कहना है कि उक्त छात्रावास के दो ही कमरे के दीवारों में दरारे पड़ी है ठेकेदार को बोलकर उन दीवारों में पड़ी दरारों का मरम्मत कार्य गया हैं। नव निर्मित भवन को मरम्मत करना कहा तक सही हैं यह तो इंजीनियर ही बता पाएंगे क्योंकि वे अपने घर का तो पैसे नही लगा रहा आम जनता के द्वारा दिए गए टैक्स के पैसे हैं उसे चाहे नव निर्मित भवन बना लो या नव निर्मित भवन का मरम्मत करा लो जो भी करा लो उन्हें तो कमीशन से मतलब होगा शायद?

कमीशन का ही खेल तभी तो दोनों लेक सेवकों के बयान में अंतर

आदिवासी विभाग के जिला लेक सेवक ने बताया कि मेरे निरक्षण के दौरान छात्रावास भवन के एक भी कमरों के दीवारों में दरारें पड़ीं नहीं देखी हैं । वही उनके ही अधीनस्त इंजीनियर बताते हैं कि छात्रावास भवन के दो कमरों के दीवारों में दरारें पड़ी हैं। दोनो के बयान में विरोधाभाषी हैं क्योंकि हो सकता है कि किसी को ज्यादा तो किसी को कम कमीशन मिला होगा तभी तो ये सब सच्चाई को गुमराह करने की कोशिश व ठेकेदार से लिया गया कमीशन के चलते बचाने की हर सम्भव प्रयास। इसे कहते है कुते को रोटी डाली तो वह कटेगा नहीं बचने की कोशिश करेगा।

आखिर क्यों करते हैं ऐसे निर्माण कार्य
ठेकेदार द्वारा ऐसे निर्माण कार्य करने में लोक सेवक की भूमिका अहम होती है क्योंकि बिना लोक सेवक सहमति से ऐसे स्तरहीन निर्माण कार्य को अंजाम नही दिया जा सकता, साथ ही ठेकेदार जल्द से जल्द माला-माला होने की लालसा के चलते ऐसे निर्माण कार्यो को करते होंगे। या हो सकता हैं कि कांग्रेस सरकार को बदनाम या आने वाले विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों के द्वारा बताया जाएगा कि भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने जिले में अनेकों निर्माण कार्य किए हैं जिनमे एक निर्माण कार्य छात्रावास गोलावण्ड भी है तब आम लोगो के मन मे यह बात आएगी की घटिया स्तर का निर्माण को विकास कार्य बताया जा रहा है ऐसे में हो सकता हैं कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार निश्चित ही होगी यह भी ठेकेदार व लोक सेवक की एक सोची समझी भविष्य की साजिस का अंश होने की सम्भावना हैं ।

Patrika Look

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *