छत्तीसगढ़

गरीबों के बच्चों को बेहतर शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है- एआईएसएफ

कांग्रेस व भाजपा सरकारों की गलत शिक्षा निति के कारण

कोण्डागांव पत्रिका लुक।
कांग्रेस व भाजपा सरकारों की गलत शिक्षा निति के कारण
ही गरीबों के बच्चों को बेहतर शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उक्त आरोप लगाते हुए ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन के प्रदेश महासचिव दिनेश मरकाम ने कहा है कि छ.ग.प्रदेश की कांग्रेस सरकार और केन्द्र की भाजपा सरकार की शिक्षा निति की एआईएसएफ घोर निंदा करती है। बेहतर शिक्षा के बिना कोई भी समाज हो, क्षेत्र हो, या फिर देश हो, समुचित विकास नहीं कर सकती। इसलिए शिक्षा व्यवस्था में सुधार करनी चाहिए, लेकिन भूपेश बघेल सरकार चुप हैे, जो जाहिर करता है कि कांग्रेस सरकार गरीब आमजनों, मजदूरों, आदिवासियों के बच्चों को बेहतर शिक्षा देना नहीं चाहती। ऐसा आरोप इसलिए लगाने को बाध्य होना पड़ रहा है, क्योंकि किसी भी वर्ग, समुदाय या क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए आवष्यक संख्या में शिक्षकों का होना अतिआवश्यक है, बिना शिक्षक के ज्ञान प्राप्त कर पाना सम्भव नहीं है। उक्त दोनों सरकारों के द्वारा आमजनों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए सरकारी शिक्षण संस्थाओं का संचालन तो किया जा रहा है, लेकिन न ही प्रदेश की कांग्रेस सरकार और न ही केन्द्र की भाजपा सरकार आमजनों व गरीबजनों के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए ऐसे शैक्षणिक संस्थाओं में आवश्यता अनुसार शिक्षकों की व्यवस्था करने में नाकाम है। यही नहीं छ.ग.राज्य सहित पूरे देश में ही शिक्षा की व्यवस्था न केवल दो भागों में बंट चुकी नजर आ रही है, जिसमें अमीरों के लिए बनी व्यवस्था के तहत संचालित हो रहे प्राईवेट स्कूलों की शाख निरंतर फलती-फूलती नजर आ रही है, वहीं दूसरी ओर गरीब, मध्यम वर्ग के आमजनों, मजदूरों आदिवासियों के बच्चों हेतु संचालित शैक्षणिक संस्थाओं का हाल निरंतर बद से बदतर होता नजर आ रहा है, क्योंकि सरकारें बच्चों को बेहतर षिक्षा देने के लिए आवश्यकता अनुसार शिक्षकों की पूर्ति करने का प्रयास ही नहीं कर रही है। वर्तमान में शिक्षा व्यवस्था में पूर्ण रूप से सुधार की आवश्यकता है, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है। इसमें शिक्षकों की भी बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन कुछ शिक्षक ही अपनी जिम्मेदारी को समझते और नियम का पालन करते हुए सही तरीके से पढ़ाते हैं, वहीं कुछ केवल जीवनयापन के लिए मिलने वाले तन्ख्वाह के लिए अपने कर्तव्यों को निभाते नजर आते हैं। कर्मचारियों की लापरवाही बढ़ती जा रही है, बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक वेतन तो ले रहे हैं, लेकिन पढ़ाते नहीं हैं। ऐसे लापरवाह शिक्षकों पर कार्यवाही होनी चाहिए, सक्षम अधिकारी कार्यवाही नहीं करते। ऐसे में विद्यार्थियों के पालकों को ध्यान देना होगा कि पढ़ाई होता है या नहीं ? शिक्षकों को भी जिम्मेदारी लेना चाहिए कि सरकार पढ़ाने के लिए वेतन देती है, इसलिए वे पढ़ाने में ध्यान दें।
वहीं निजी संस्थाओं जहां अधिकारी, कर्मचारी, पूंजीपतियों के बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं और शिक्षकों को पालकों के द्वारा जमा की शुल्क राशि से वेतन मिलता है, वहां सरकारी संस्थाओं के स्कुलों के शिक्षकों से वेतन काफी कम होता है, इसके बावजूद भी निजी स्कूलों में पढ़ाई अच्छी होती है, सरकारी षैक्षणिक संस्थाओं में क्यों नहीं ? साफ जाहिर है इसके लिए सरकारी कर्मचारी, अधिकारी जिम्मेदार हैं। सरकार को सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के लिए आदेश जारी कर देना चाहिए कि अपने-अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं। उसके बाद देखते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कैसे होती है ? लेकिन सरकार ऐसा नहीं करती क्यों ? सरकार जल्दी से जल्दी शिक्षा व्यवस्था में सुधार करे। सुधार नहीं होने पर ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन द्वारा उग्र आंदोलन किया जाएगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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