छत्तीसगढ़

नहीं होगा विकास का सपना साकार दो पाटों के बीच पीसा रहा सामाजिक कार्यकर्ता 



कोंडागांव । पत्रिका लुक

अब अतिसंवेदनशील व पिछड़े क्षेत्र में बसे गांवों के विकास का सपना देखने पर यदि किन्हीं व्यक्तियों अथवा सामाजिक कार्यकर्ताओं को दो पाटों के बीच पिसाना पड़े, तो अहम प्रश्न यह उठता है कि ऐसे में अतिसंवेदनशील व पिछड़े क्षेत्र में बसे गांवों का विकास कैसे सम्भव हो पाएगा ? क्योंकि यदि विकास की ओर कदम बढ़ाने पर उसके सामने दो पाटों के बीच पिसाने की नौबत आई, तो ऐसे व्यक्ति को अपनी सुरक्षा के लिए ऐसे क्षेत्र और वहां के रहवासियों को उनके हाल पर छोड़कर हट जाना मजबूरी होगी। ऐसे ही गम्भीरतम प्रष्न/समस्या को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश बागड़े को प्रेस प्रतिनिधियों के बीच आने को मजबूर होना पड़ा। अतिसंवेदनषील व पिछड़े क्षेत्र में बसे कड़ेनार, बेचा सहित अन्य गांवों में निवासरत ग्रामीणजनों की छोटी से लेकर बड़ी समस्याओं के समाधान में विगत लगभग 27 वर्श से निरंतर अपनी सेवाएं देने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश बागड़े ने बताया कि अंदरुनी क्षेत्र के अधिकांष ग्राम पंचायतों में षासन की योजनाएं जमीनी स्तर पर जिस तरह से पहुंचनी चाहिए उस तरह से नहीं पहुंच पा रही है। अब चूंकि मैं शिक्षित हूं तथा शासकीय योजनाओं और क्षेत्र के रहवासियों की हकीकत को जानता हूं। इसलिए वाकिफ हूं कि कई मामले में सरपंच/सचिव को मोहरा बनाकर कुछ अधिकारी-कर्मचारी भ्रष्टाचार करते हैं और अंततः जिसका खमियाजा आमजनों व सरपंच को भुगतना पड़ता है। ग्रामीणजनों का सहयोग किए जाने के दौरान सामने आए ऐसे ही कुछ मामलों में उनके द्वारा आमजनों के माध्यम से शासन-प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच की मांग भी किया जा चुका है। ऐसे ही षिकवा-षिकायत किए जाने से कुछ शिक्षित स्थानीय लोग तक, षरारती तत्वों द्वारा किए जा रहे गलत प्रचार से गुमराह होकर न केवल गलत लोगों का साथ दे रहे हैं, बल्कि उनके द्वारा किए जा रहे जनहित कार्यों में भी नुक्स नजर आने लगा है। जिससे अतिसंवेदनषील क्षेत्र में जागरुकता लाकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए लोगों को प्रेरित करने वाले मुझ जैसे सामाजिक कार्यकर्ता की जान पर बन आई है। साफ कहें तो ऐसा भ्रामक प्रचार कर मुझे सिधे मरवाने की साजिश रची जा रही है।
उनके द्वारा किए जा रहे जनहित के कार्यों में कुछ स्थानीय लोगों को उस वक्त नुक्स नजर आने लगा, जब उनके निरंतर चलाए जा रहे जनजागरुकता से जागरुक लोगों के द्वारा शासन की योजना का लाभ दिलाने की मांग सहित जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिए बगैर षासकीय धन को कुछ लोगों द्वारा गबन किए जाने की षिकायत किया जाने लगा। ऐसी षिकायतों में 14 वें वित्त की राषि को बिना सरपंच की सहमति से दुरुपयोग किया जाना, प्रधान मंत्री आवास योजनांतर्गत मकान न बनाकर एवं डबरी निर्माण में गड़बड़ी कर राशि का फर्जी तरीके से आहरण कर लेना, फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी हासिल कर लेना आदि षामिल हैं। उक्त तरह की अनियमितताओं की षिकायतें होने के कारण ही कुछ स्थानीय व बाहरी लोगों के द्वारा उनके जनहित के कार्यों में बेवजह ही नुक्स निकालकर, नासमझ व कान के कच्चे स्थानीय जनों के बीच उनकी छवि को धूमिल किया जा रहा है, परिणामस्वरुप अतिसंवेदनषलीता के कारण उनकी जान खतरे में पड़ गई है।
प्रकाष बागड़े ने अंत में कहा कि उनके द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में जनहित के कार्य किए जाते रहेंगे, लेकिन चूंकि कड़ेनार, बेचा क्षेत्र में कुछ षरारती तत्वों द्वारा उनकी छवि धूमिल किए जाने से उनकी जान को खतरा हो गया है, इसलिए संभवतः वे उक्त क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पहुंचकर कुछ समय तक अपनी सेवाएं न दे सकें, लेकिन उक्त क्षेत्र के जो भी व्यक्ति उन पर भरोसा करके उनसे सहयोग चाहेंगे, उसकी मदद् अवष्य करते रहेंगे।  

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