छत्तीसगढ़

अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने राज्यपाल के नाम 12 सूत्रीय मांग पत्र


कोंडागांव । पत्रिका लुक
अखिल भारतीय आदिवासी महासभा जिला कोंडागांव के जिला अध्यक्ष मुकेश मंडावी, जय प्रकाश नेताम जिला सचिव एआईवायएफ, बिसम्बर मरकाम जिला अध्यक्ष एआईवायएफ, ईश्वर सोरी, संतोष नेताम आदि द्वारा आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग की समस्याओं के समाधान हेतु  राज्यपाल को नाम का ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा गया। ज्ञापन में  पूर्व विधायक मनीष  कुजांम जिला संयोजक एवं राश्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय आदिवासी महासभा बस्तर सम्भागीय समिति जगदलपुर बस्तर के नेतृत्व में सिलगेर से सुकमा तक 19 से 26 सितम्बर तक आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग की समस्याओं के समाधान हेतु 12 सूत्रीय मांगों को लेकर पैदल मार्च किया जाकर सुकमा में आमसभा का आयोजन कर 26 सितम्बर को कार्यक्रम का समापन किया गया था। केन्द्र की मोदी सरकार वन अधिनियम में संशोधन कर रही है, यदि यह संशोधन नियम 2022 पास हो जाता है, तो ग्राम सभा की अधिकार व शक्तियाँ खत्म हो जायेंगे। प्रदेश की भूपेश सरकार ने पेसा कानून को लागू करने जो नियम बनाया है, वह इस कानून की मूल मंशा जिसमें गाँव को स्वायतता देना है, के खिलाफ है। अर्थात दोनों सरकारें उनके कार्पोरेट दोस्तों के लिए आदिवासी इलाकों की जल-जंगल-जमीन को सौंपने के लिए नियम कानून में बदलाव कर रही हैं, जिससे हमारे सामने जबरदस्त खतरा उत्पन्न हो गया है। हसदेव में फोर्स लगाकर जनता के विरोध के बावजूद जबरन पेड़ काटे जा रहे हैं। इस एक उदाहरण से सरकार क्या कर सकती है और क्या कर रही है ? उसे समझने के लिए काफी है। बेरोजगारी चरम पर है, पढ़े-लिखे नौजवान चिंतित व परेशान हैं। सभी वादों की तरह रोजगार देने या बेरोजगारी भत्ता देने का वादा भी गायब हो गया है। जैसे बातों का उल्लेखित करने वाले का.मनीष कुजांम के निर्देष पर ही अ.भा.आदिवासी महासभा जिला कोण्डागांव के द्वारा महामहिम राज्यपाल महोदय को सम्बोधित और उपरोक्त 12 सूत्रीय मांगों से सम्बन्धित ज्ञापन को जिला कार्यालय में जमा कर उचित समाधान करने का आग्रह किया गया है। सरकार के समक्ष 12 सूत्रीय ज्वलंत समस्याओं के समाधान करने की मांगों में 1. संशोधित वन नियम 2022 को वापस लिया जाये। 2. पेसा कानून के मूल मंशा के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा नियम नहीं बनाया गया है। पैसा कानून को कमजोर किया गया और काफी नियमों में स्पष्टता नहीं है और विरोधाभासी है। इससे गाँव को हरगिज स्वाययता नहीं मिलेगा। इसे तत्काल ठीक किया जाये। 3. बस्तर के जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों को वादे के मुताबिक तत्काल छोड़ा जाये। 4. सिलगेर सहित अनेक गाँवों में करीब 16 महिनों से जिन मांगों को लेकर लगातार शांतिपूर्ण घरना, आंदोलन किया जा रहा है, उन मांगों को तत्काल पूरा किया जाये। 5. गौण खनिजों के लीज, ग्राम सभा के अनुमति के बगैर दिया गया है, उसे तत्काल निरस्त किया गया जाये। 6. सारकेगुडा, एडसमेटा जांच कमीशन रिपोर्ट पर तत्काल कार्यवाही किया जाये। 7. रोजगार दो या बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य किया जाये। 8. हर पारा मुहल्लों में पेयजल की व्यवस्था किया जाये तथा जिन गांवों व पाराओं में बिजली नहीं पहुंचा है, वहां बिजली पहुंचाया जाये। 9. बस्तर संभाग के सभी जिलों में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधार हेतु डॉक्टरों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के रिक्त पदों को तत्काल भरा जाये। 10. बस्तर संभाग के सभी विभागों में विशेषकर शिक्षा विभाग में हजारों शिक्षकों के रिक्त पद है, इन सभी रिक्त पदों को तत्काल भर्ती किया जाये और इस भर्ती में स्थानीय बेरोजगारों को ही लिया जाये। 11. रोजगार गारंटी योजना में मजदूरी भुगतान रोजगार गारंटी कानून में निर्धारित समय सीमा के अन्दर व नगद भुगतान किया जाये तथा मजदूरी दर में वृद्धि किया जाये। 12. नगरनार स्टील प्लांट को केन्द्र सरकार निजीकरण शीघ्र करने जा रही है, उसके खिलाफ संघर्ष तेज किया जाये। छत्तीसगढ़ में आन्दोलनरत कर्मचारियों की मांगे पूरी किया जाये। शामिल हैं।

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