महिषासुर का करने अंत बड़े डोंगर में प्रगट हुए आदि शक्ति मां दुर्गा, पत्थर पर माता के पद चिन्ह
महिषासुर के आतंक का अंत करने बड़े डोंगर में प्रकट हुई मां दुर्गा, पहाड़ी के पत्थर पर बने है माता के पद चिन्ह । हजारो की संख्या में आते हैं श्रद्धालु मा के दर्शन करने
बड़े डोंगर में विराजमान हैं मां दंतेश्वरी के रूप में
कोंडागांव। पत्रिका लुक।
कोंडागांव जिले के अंतर्गत फरसगांव से तकरीबन 30 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बडेडोंगर की पहाड़ी पर मां दंतेश्वरी विराजमान हैं। लोगों की मनोकामना पूर्ति के चलते यहां दिन-प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। यहां प्रतिवर्ष शारदेय व चैत्र नवरात्रि में विशाल मेला भरता है। मंदिर समिति के उपाध्यक्ष कंवल सोरी कहते हैं कि भारत के विभिन्न राज्यों के 1266 मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित हुआ है।
मंदिर के ज्योति कलश समिति अध्यक्ष गणेश प्रधान ने बताया सदियों पूर्व पृथ्वी पर्र महिषासुर का आतंक था। महिषासुर मायावी होने के चलते छल कपट और प्रपंच से आतंक मचा रखा था। महिषासुर की आतंक का अंत करने के लिए मां दुर्गा प्रकट हुई। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच पहाड़ी पर अनवरत कई दिनों तक युद्ध चला।अंत में महिषासुर प्राण बचाने भागा । मां दुर्गा पहाड़ी के ऊपर स्थित पत्थर में खड़े होकर महिषासुर को चारों ओर निहारने लगी। जहां विशाल पत्थर के ऊपर मां दुर्गा के पंजे के निशान आज भी विद्यमान है। मां दुर्गा व महिषासुर के बीच हुए युद्ध स्थल पर जगह जगह पत्थरों में शेर के पंजे के निशान बने हैं ओर अनन्त मां दुर्गा ने महुषासुर का अंत किया। पहाड़ में माता के पद चिह्न भी बने हैं जिसे आस्था स्वरूप पूजे जाते हैं। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध होने के चलते इस पहाड़ी को स्थानीय हल्बी बोली में भैंसा दोंद या द्वंद कहते हैं। पहाड़ी महिषासुर व मां दुर्गा का युद्ध स्थल है। कालांतर में यहां राजाओं द्वारा रियासतकाल में मां दंतेश्वरी का मंदिर बनाया गया। पहाड़ी में पत्थरों के बीच अंधेरी सुरंग है।जिसे रानी दर गुफा कहते हैं।
मंदिर पहुंच मार्ग
जिला मुख्यालय कोंडागांव से जुगानी होते डोंगर पहुंच मार्ग है तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 30 में स्थित फरसगांव से बड़े डोंगर पहुंच सकते है। बस तथा टैक्सी व ऑटो हमेशा उपलब्ध रहती है।