छत्तीसगढ़

तारीख पे तारीख,खाली नहीं करा पाए एसडीओ राजस्व  सरकारी आवास को

उच्चाधिकारी व सत्ताधारकों की चहेती बन चुकी अवैध कब्जाधारी बेचारी महिला के कब्जे से
कोंडागांव।  पत्रिका लुक
उच्चाधिकारियों सहित सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोगों की चहेती बन चुकी बेचारी अवैध कब्जाधारी महिला के कब्जे से सरकारी आवास को खाली कराने के मामले में वर्तमान एस.ड़ी.ओ. राजस्व  कोंडागांव का पसीना छूटता नजर आ रहा है और सांप छछून्दर जैसे हालात गुजरते नजर आ रहे हैं, यानि बेचारी अवैध कब्जाधारी महिला को न सरकारी आवास से निकाल पाते बन रहा है और न उसे शांतिपूर्वक रहने देते बन रहा है। जिला मुख्यालय कोंडागांव के ड़ी.एन.के. कालोनी में लोके निर्माण  विभाग कोंडागांव की देखरेख के दायित्वाधीन सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों हेतु सामान्य पुल के सरकारी आवास हैं। उक्त सरकारी आवासों में से एक सरकारी आवास क्र.जी 31 में एक अवैध कब्जाधारी द्वारा कब्जा किए होने की जानकारी जिला प्रशासन के संज्ञान में आने पर तत्कालीन कलेक्टर ने 06 मई 2019 को एस.ड़ी.ओ.रा.हेतु उक्त आवास में अवैध रुप से निवासरत अवैध कब्जाधारी को बेदखल कर आवास को लो.नि.वि.के आधिपत्य में सौंपने का स्पश्ट आदेश जारी किया।  दो माह के बाद 11 जुलाई 2019 को एस.ड़ी.ओ.रा.न्यायालय में बेदखली का प्रकरण सुरु हुआ और अवैध तरीके से निवासरत कब्जाधारी को न्यायालय में उपस्थित होने के लिए कई नोटिस जारी हुए, लेकिन कब्जाधारी ने नाटिसों की ओर न तवज्जो दिया और न न्यायालय में उपस्थित होने की जहमत उठाई। वहीं बेदखली प्रकरण के दौरान एक दिन आर.आई.कोण्डागांव, जब शासकीय आवास क्र.जी 31 में अवैध रुप से निवासरत कब्जाधारी को आवास से बेदखल करने पहुंचे, तो वहां निवासरत कब्जाधारी ने कलेक्ट्रेट से प्राप्त एक आदेश पत्र को दिखाकर आवास को खाली करने से ही मनाकर दिया और आर.आई.सहाब बड़े बेआबरु होकर तेरे कुचे से निकले के अंदाज में मुंह लटकाकर वापस चले आए। फिर अचानक जिस कलेक्टर ने बेदखली आदेश जारी किया, उन्होंने ही 10 दिसम्बर 2019 को उक्त आवास के जीर्णषीर्ण व जर्जर होने की वजह से दुर्घटना की आषंका जताकर शासकीय आवास क्र.जी 31 के आबंटन आदेश को ही निरस्त किए जाने का आदेश जारी कर दिया और एस.ड़ी.ओ.रा.न्यायालय ने उक्त आदेश को सिर माथे पर लेकर आनन-फानन में यानि चंद दिन में पालन कर 16 दिसम्बर 2019 को बेदखली प्रकरण में कोई कार्यवाही शेष नहीं का हवाला देकर प्रकरण को ही नस्तीबद्ध कर दिया। गौरतलब है कि तत्कालीन कलेक्टर जोकि सम्भवतः ज्योतिशाचार्य भी हों, लेकिन इस बार शासकीय आवास क्र.जी 31 को लेकर की गई उनकी भविष्यवाणी झूठी साबित हुई और उक्त मकान आज भी सही सलामत और सीना ताने एक अवैध कब्जाधारी परिवार का सहारा बना हुआ है, जोकि उक्त कलेक्टर सहाब चाहते भी थे।   नस्तीबद्ध कर दिये गये शासकीय आवास क्र.जी 31 के बेदखली का मामला उसी एस.ड़ी.ओ.रा. न्यायालय कोंडागांव में फिर से अचानक 10 दिसम्बर 2020 को सुरु कर दिया गया और पुनः अवैध रुप से निवासरत अवैध कब्जाधारी को नोटिस पर नोटिस जारी किया जाने लगा, जिस पर थक हारकर कब्जाधारी को न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना पड़ा, जहां न्यायालय ने 11 जुलाई 2022 को तीन दिन में आवास को खाली कर देने का फरमान जारी कर दिया, लेकिन तीन दिन के बजाए 3 माह बित चुके हैं और कब्जाधारी ने आवास खाली नहीं किया है और एस.ड़ी.ओ.रा. न्यायालय के सहाब पुनः अवैध कब्जाधारी को न्यायालय में उपस्थित होने हेतु नोटिस पर नोटिस जारी कर रहे हैं। इस तरह चल रहे प्रकरण को देखकर  पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री द्वारा चुनाव के दौरान कहे गये प्रसिद्ध शब्द खेला होबे की याद आ जाती है, क्योंकि उक्त प्रसिद्ध शब्द खेला होबे, आज कोंडागांव जिले की प्रशासनिक व्यवस्था में फिट नजर आ रहा है।
कुल मिलाकर तत्समय में कई उच्चाधिकारियों की चहेती बन चुकी बेचारी अवैध कब्जाधारी महिला वर्तमान में सत्ताधारी पार्टी के स्थानीय नेताओं की नजर में आ चुकी है और कांग्रेस द्वारा महिला विंग की अध्यक्ष भी बनाई जा चुकी है। ऐसे में क्या एस.ड़ी.ओ.रा. न्यायालय में वर्तमान में पदस्थ सहाब अवैध रुप से कब्जा जमाए बेचारी अवैध कब्जाधारी महिला को शासकीय आवास क्र.जी 31 से बेदखल कर पाएंगे या फिर वे भी इस आस में बैठे रहेंगे कि एक बार पुनः वर्तमान कलेक्टर सहाब आवास का आबन्टन निरस्त कर देने का आदेश जारी कर देने की कृपा कर दें, ताकि उनके सिर से बेदखली कराने का झमेला ही खत्म हो जाए और वे निष्चिंत होकर अपने पद पर ड़टे रहकर, सुखपूर्वक अपना व परिजनों का जीवनयापन करते रह सकें।

लेखन शैलेश शुक्ला, समाजिक कार्यकर्ता।

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