कैसे मिलेगा भूपेश सरकार की योजनाओं का लाभ, DFO दक्षिण कोण्डागांव नहीं दे रहा ध्यान हितग्राही हो रहे परेशान
योजना का लाभ नहीं तो कांग्रेस सरकार को भी चुनाव में होगा नुकसान
कोण्डागांव। पत्रिका लुक
जब कोई नौकरशाही अपनी कर्तव्य को भूल कर अपने मातहित व घमण्ड में रहना सुरु कर दे, तो जनता तो परेशान होती है साथ ही राज्य सरकार को भी पलीता लगने में वक्त नहीं लगेगा । राज्य सरकार को पलीता इसलिए लगेगा क्योंकि राज्य सरकार की योजनाओं के लाभ जब हितग्राहियो की नही मिलेगा और नौकरशाही द्वारा नागरिकों से दुर्व्यवहार किया जाने लगे तो आम लोगों में सरकार के विरुद्ध घुसा तो बढ़ेगा ही योजना का लाभ हितग्राहियो को नहीं मिलता हैं तो आने अले विधानसभा चुनाव में इसका नुकसान राज्य की कांग्रेस सरकार को उठाना पड़ सकता है। आम जनो के हित में बैठाए गए नौकरशाही के द्वारा जब आम जन के साथ ही दुर्व्यवहार किया जाए तो जिला प्रशासन व राज्य सरकार को तत्काल दुर्व्यवहार करने वाले अधिकारी को हटा देना ही उचित होता हैं ।
पत्रकारों ने सौपा डीएफओ के विरुद्ध शिकायत कलेक्टर को ज्ञापन व जारी किया प्रेस विज्ञप्ति
DFO दक्षिण वन मंडल कोंडागांव रमेश कुमार जांगड़े के द्वारा आमजनो के साथ दुर्व्यवहार शिकायत की शिकायत करते जिले के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के नाम आवेदन कलेक्टर को ज्ञापन सौपा है, यह पहली दफा होगा कि जिन अधिकारी के खिलाफ शिकायतें आ रही है उसी अधिकारी के समक्ष उपस्थित हो पत्रकारों ने उन्हें भी उनके खिलाफ आ रही शिकायतों से अवगवत करवाते इन्हें भी आवेदन सौपा है। ज्ञात हो कि DFO रमेश कुमार जांगड़े से ग्रामीण जन परेशान है,वन अधिकार पत्र की योजनाओं को लेकर DFO रमेश जांगड़े कार्यो के प्रति गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं, जिससे शासन की महती योजनायें धरातल पर फलीभूत नजर नहीं आ रही है वहीं डीएफओ के सुस्त रवैए की वजह से शहरी आवासीय पट्टा के अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए रुपये मांगने की बाते भी सूत्रों से प्राप्त हो रही है। ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों से लगातार दुर्व्यवहार की शिकायतों के साथ ही पत्रकारों से भी लगातार दुर्व्यवहार की बाते सामने आ रही है,उनके गैरजिम्मेदाराना हरकतों का जिले के पत्रकारों द्वारा पुरजोर विरोध करते विधानसभा उपाध्यक्ष संत नेताम, मोहन मरकाम पीसीसी चीफ छत्तीसगढ़ , विभागीय मंत्री मोहम्मद अकबर व सीसीएफ के नाम शिकायती पत्र सौंपा है। आवेदन सौपते जिले के पत्रकारों ने कहा की जिनके कंधे पर जिम्मेदारी है वह अधिकारी अपने कार्य के प्रति गंभीर नहीं है ऐसे में उक्त अधिकारी के कृत्य से शासन की योजनाएं भी धरातल पर प्रभावित हो रही है व आम जनता तक सरकार की योजनाएं नही पहुंच पा रही है। ऐसे निष्क्रिय अधिकारी को जिले से अन्यत्र हटाकर सक्रिय अधिकारी पदस्थ कराने का निवेदन किया गया है ताकि जिले का समसामयिक विकास हो सके।
सात दिवस में कार्यवाही ना होने पर ग्रामीणों संग पत्रकार करेंगे आंदोलन
वहीं सात दिवस के अंदर अगर आवेदन पर उचीत कार्यवाही नहीं होती है तो जिले के पत्रकार एवं वन अधिकार पट्टे से वंचित ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में आवासीय पट्टे के लाभ से वंचित आमजन पत्रकारों के साथ आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। बरहाल देखना होगा कि जिला प्रशासन व राज्य में बैठी कांग्रेस सरकार कब तक कार्रवाही करती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।